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कैलिफोर्निया राज्य में प्रयुक्त की गयीं वोटिंग मशीनों ने हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनावों में 200 वोट नष्ट कर दिए. इस मतदान प्रणाली में पाया गया कि मशीन चुपचाप सभी प्रथम बैच के मतपत्र स्कैन ऑप्टिकल के 'डेक' से वोट मिलान के बाद स्वतः ही नष्ट कर देती है.
ऑपरेटरों को वोटिंग मशीनों के लेखापरीक्षा लॉग को नष्ट करने की अनुमति दी गई थी जिसके कारण यह समस्या सामने आई. यह मशीन महत्वपूर्ण प्रणाली घटनाओं के आवश्यक लॉग बनाए रखने में असफल रही, और गलत डेटा व गलत समय दर्शाया.
इस खबर की सरकारी पुष्टि के लिए आप http://www.sos.ca.gov/elections/voting_systems/sos-humboldt-report-to-eac-03-02-09.pdf लिंक देख सकते हैं.
दूसरी और भारत है, जो लम्बे अरसे से वोटिंग मशीनों का सफलता पूर्वक प्रयोग कर रहा है. यह बात भारत के सन्दर्भ में और भी महतवपूर्ण है क्योंकि ज़्यादातर वोटर तकनीक से अपरिचित हैं वहीँ दूसरी ओर वोटिंग अधिकारी भी तकनीक में बहुत पारंगत नहीं होते हैं. मशीनिं ख़राब हो जाने के बात अलग है किन्तु भारत में इस तरह की तकनीकी खराबी की खबरें नहीं सुनी गयीं.
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भैय्ये ये भारत देश है ! यहाँ तो वो सब भी हो सकता है जो विधाता के दिमाग में भी नहीं हो सकता । मध्य प्रदेश में ऎसे कई उम्मीदवार भारी मतों से जीत दर्ज़ करा बैठे हैं ,जिन्हें खुद भी भरोसा नहीं था अपने बारे में । भई मशीन भी इंसान के दिमाग की ग़ुलाम है और सॉफ़्ट्वेयर तैयार करने में भारतीय दिमाग का कोई सानी नहीं । इसी लिए जिसकी लाठी उसकी भैंस । ऎसे में मशीनी गड़बड़ी की गुँजाइश ही कहाँ है । वैसे उमा भारती ने राज्यपाल से ईवीएम मशीनों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की शिकायत की थी ।
ReplyDeleteइस मामले में अमरीका बहुत पीछे है...
ReplyDeletebahot bahiya..blog hai..kajal..very nice...keep it up.
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