Tuesday, August 20, 2013

आधार कार्ड - क्‍या आप ये जानते थे


आधार कार्ड के बारे में बहुत सी भ्रांति‍यां हैं इसलि‍ए ज़रूरी है कि‍ इसके बारे में कुछ बातें जान ली जाएं. 

1.  आधार कार्ड न तो राष्‍ट्रीयता प्रमाण पत्र है न ही कि‍सी प्रकार का  ‘हर उद्देश्‍य के लि‍ए’ पहचान पत्र. इसकी भूमिका इतनी भर है कि‍ यह धारक के बायोमेट्रि‍क्‍स ऑनलाइन सत्‍यापि‍त करता है. आधार कार्ड की वि‍शेषता, धारक के बारे में कार्ड पर छपी सूचनाओं का UIDAI से (ऑनलाइन) केवल सत्‍यापन करना ही नहीं अपि‍तु धारक के बायोमेट्रि‍क्‍स सत्‍यापि‍त करना भी है. इसी कारण, नकली आधार कार्ड की समस्‍या नहीं रहती क्‍योंकि‍ कोई भी नकली आधार कार्ड तो बना सकता है पर इस प्रकार के नकली कार्ड का सत्‍यापन UIDAI के डेटाबेस से नहीं करवा सकता. UIDAI के डेटाबेस में भी बदलाव कर दि‍या जाए तो बात अलग है, लेकि‍न लगता नहीं कि‍ वि‍भि‍न्‍न प्रकार की सुरक्षा व्‍यवस्‍थाओं के चलते यह इतना आसान होगा.

2. UIDAI ने कभी नहीं कहा कि‍ आधार कार्ड का प्रयोग फलां-फलां परि‍स्‍थति‍यों में अवश्‍य करना है या, आधार कार्ड प्रत्‍येक पहचान पत्र का स्‍थानापन्‍न है. यह आधार कार्ड के प्रयोक्‍ताओं पर छोड़ दि‍या गया है कि‍ वे इसका प्रयोग/उपयोग अपने कि‍स उद्देश्‍य के लि‍ए करते हैं. यह बात अलग है कि‍ वि‍भि‍न्‍न लोग इसे अपने-अपने अर्थों में समझ कर इसका प्रयोग करने लग गए हैं. चाकू से शल्‍यचि‍कि‍त्‍सा भी की जा सकती है, और हत्‍या भी. इसके लि‍ए चाकू बनाने वाले की वाहवाही करना या उसे दोष देना कहां तक उचि‍त है.

3. पर हालत ये है कि‍ न तो इसके प्रयोक्‍ताओं के पास बायोमेट्रि‍क्‍स रीडर हैं, न ही कनेक्‍टि‍वि‍टी और न ही आधार डेटाबेस से सत्‍यापन के बाद अपना डेटाबेस बनाने की फ़ुर्सत और सारा दोष UIDAI के मत्‍थे. यह परि‍योजना अभी पूरी तरह से लागू भी नहीं हुई है इसलि‍ए पूरी सामर्थ्य इसके पूरी तरह लागू होने के बाद ही सामने आएगी. 

4. हमें आदत रही है बस काग़जों पर भरोसा करने की इसलि‍ए आधार कार्ड को हर दूसरे पहचान पत्र / पहचान दस्‍तावेज़ का स्‍थानापन्‍न मान लेने पर उतारू हैं हम. और यह हम बि‍ना यह समझे कर रहे हैं कि‍ वास्‍तव में आधार कार्ड की अवधारणा क्‍या है और इसका उद्देश्‍य क्‍या है.

5. आधार कार्ड बनाए जाने को पूरी तरह फ़्रेंचाइज़ि‍ओं के भरोसे छोड़ देना नि‍श्‍चय ही ठीक नि‍र्णय नहीं कहा जा सकता, इस पर ढंग से काम कि‍या जाना चाहि‍ए था. यूआईडीएआई को इस दि‍शा में कड़ी मेहनत करने की आवश्‍यकता थी कि‍ ग़लत जानकारि‍यां शामि‍ल न की जातीं और कार्ड त्रुटि‍रहि‍त ही न होते अपि‍तु इसे सुनिश्चित करने के लि‍ए एक सुघड़ व सुदृढ़ व्‍यवस्‍था भी होती. कि‍न्‍तु आज यह प्रक्रि‍या भी वोटर-कार्ड जारी करने जैसी ही लचर बन कर रह गई है.
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