Monday, March 30, 2009

1 अप्रैल को वाइरस Conficker आ रहा है.


इन्टरनेट प्रयोक्ताओं के लिए 'अप्रैल फूल' के दिन Conficker वाइरस पूर्णतः एक्टिव किये जाने के खबर है. इस वाइरस से एक करोड़ कम्प्यूटर पहले ही इन्फेक्ट हो चुके हैं. एंटी वाइरस बनाने वाली वियतनाम की एक कम्पनी की सूचना अनुसार ये वाइरस संभवतः चीन से भेजे जाने की आशंका है क्योंकि इसका कोड 2001 में छोड़े गए वाइरस Nimda से मिलता-जुलता है, यद्यपि Nimda के जनक का तब भी कुछ पता नहीं चला था. उस समय चीन जनित Nimda ने इन्टरनेट और इ-मेल पर बहुत नुक्सान किया था.

माइक्रोसॉफ्ट ने Conficker बनाने वाले की गिरफतारी पर ढाई लाख डॉलर के इनाम की घोषणा की है. Conficker एक बहुत सक्षम वाइरस है जो विन्डोज़ की कमजोरियों का फ़ायदा उठाकर कम्प्यूटर सुरक्षा सॉफ्टवेअर को रोक देता है, विन्डोज़ अपडेट को अक्षम कर देता है, इसको हटाने के सॉफ्टवेअर को भी अक्षम कर देता है, और वाइरस भेजने वाले को इस तरह के इन्फेक्टेड कम्प्यूटर पर दूसरे वाइरस भेजने का रास्ता भी खोल देता है. 1 अप्रैल से Conficker वाइरस स्वतः ही अपग्रेड होते हुए प्रतिदिन 50,००० कम्प्यूटर पर पहुँचने लगेगा. हालाँकि माइक्रोसॉफ्ट ने अक्टूबर2008 में विन्डोज़ अपडेट पैच निकला था किन्तु अभी भी कई कंप्यूटर पर यह नहीं ही होगा.

इससे बचने के लिए ज़रूरी है कि आपका एंटी वाइरस अपडेट किया गया हो. यदि आपको आशंका है
कि आपका कंप्यूटर इस वाइरस से इन्फेक्ट हो गया है तो आप एंटी वाइरस सॉफ्टवेयर यहाँ से डाउनलोड कर सकते हैं.

Sunday, March 29, 2009

मुद्रास्फीति घटने पर भी महंगाई बढ़ने का कारण


क्या कारण है कि सरकार रोज़-रोज़ मुद्रास्फीति में कमी की घोषणाएं करती रहती है फिर भी ये महंगाई है कि न तो रुकने का नाम ले रही है और न ही कम होने का. क्या ये सरकार की, चुनावों के चलते, आंकडों से बुनी जादूगरी है या विपक्ष सही कह रहा है. आईये इस मुद्रास्फीति के अर्थशाश्त्र को साधारण शब्दों में समझने का प्रयास करें.

वास्तव में, मुद्रास्फीति की दर घटने का अर्थ महंगाई कम होने से इतना सीधा भी नहीं है (जितना कि हम समझते हैं) क्योंकि यह दर फिछले सप्ताह इत्यादि, की मुद्रास्फीति की दर के सन्दर्भ में होती है न कि महंगाई के सन्दर्भ में. इसलिए पहले ये जान लें कि मुद्रास्फीति की दर और महंगाई मैं सीधा सम्बन्ध नहीं होता है, अप्रत्यक्ष सम्बन्ध होता है. इसीलिए, यूं भी कहा जा सकता है कि

(1) मुद्रास्फीति की दर में वृद्धि माने महंगाई में वृद्धि,
(2) महंगाई में वृद्धि माने मुद्रा स्फीति की दर में वृद्धि
(3) महंगाई में कमी माने मुद्रा स्फीति की दर में कमी,
(4) लेकिन, मुद्रास्फीति की दर में कमी का मतलब महंगाई में कमी ज़रूरी नहीं.

उदारहरण के रूप में इसे यूं देखा जा सकता है:-
१.१.२००८ किसी वस्तु की कीमत रु.१००/-
१.२.२००८ यदि मासिक मुद्रास्फीति दर १०% = ११०/-
१.३.२००८ यदि मासिक मुद्रास्फीति दर १०% = १२१/-
१.४.२००८ यदि मासिक मुद्रास्फीति दर १५% = १३९.१५
१.५.२००८ यदि मासिक मुद्रास्फीति दर ०२% = १४१.९३
इसी तरह आगे भी.....

ऊपर के उदाहरण से देखा जा सकता है कि मुद्रास्फीति की दर 15% से घट कर 2% (यानि 13% की कमी) होने पर भी वस्तु की कीमत में रु. 2.78 कि बढोतरी हुई. यानि मंहगाई नहीं घटी. यही अर्थशास्त्र का खेल है जिसे वोटों के खेल में भी बदला जाता रहता है ठीक वैसे ही, जैसे कभी ये कहा गया था कि नदी पर बाँध बनाकर पानी में से बिजली निकाल ली गयी और इस तरह से गरीब किसानों को धोखे से बिना बिजली वाला पानी दिया गया.

यह पोस्ट लिखने का विचार मुझे वास्तव में, एक ब्लॉग के उत्तर में टिपण्णी देने के बाद आया. मुझे लगा कि क्यों न यह जानकारी आप सभी पाठको के साथ भी बांटी जाए.
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रीवा इलैक्ट्रिक कार डिजाइन के मुंह पर तमाचा


आईये आज आपको Tesla Motors की इलैक्ट्रिक कारों से मिलवायें. लेकिन पहले..... आपने अगर रीवा इलैक्ट्रिक कार देखी है तो आप जानते ही होंगे की डिजाइन के दृष्टि से इससे बुरा शायद ही कुछ और बनाया जा सके. यह देखने में ही कूबड़ निकली अपाहिज कार लगती है. फिर इसमें बमुश्किल दो लोगों की जगह, और कार इतनी नीची कि लोग ज़मीं पर बैठे लगें....बस एक ही बात का दम भारती है ये कार कि बिजली से चलने के कारण ४० पैसे प्रति किलोमीटर का खर्च आता है. ऐसा लगता है कि जैसे प्रकाशकों को, लेखकों को पारिश्रमिक देना बुरा लगता है बैसे ही कार डिजाइनरों पर पैसा खर्च करना बकवास माना जाता है.

Tesla Motors ने जो कारें बाज़ार में उतारी हैं अब जरा उनकी एक बानगी देखिये. ये कारें किसी मोटर प्रदर्शनी में ही दिखाने लायक नहीं हैं बल्कि, ये दुनिया की पहली कंपनी है जो इनका उत्पादन व्यापक पैमाने पर कर रही है. इसके कुछ मॉडल बाज़ार में आ चुके हैं और कुछ भविष्य में आने को हैं. और हाँ, ये कारें केवल शहरों में ही चलाने के लिए नहीं हैं बल्कि ये हाईवे पर चलाने के लिए भी उतनी ही उम्दा हैं.







यदि आप इसके विस्तृत तकनीकि विवरण की जानकारी चाहते हैं तो कृपया यहाँ क्लिक करें.

Saturday, March 28, 2009

26 चित्र जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, और आप ने देखे भी नहीं हैं.


आपने ऐसे चित्र पहले कभी नहीं देखे होंगे, ये मेरा विश्वास है....जब आपको यह बताया जाए कि ये धरातल पर महज रंगी चाक से बनायी गयी आकृतियाँ हैं न कि वास्तविकता, तो आप निश्चित ही दांतों तले उँगलियाँ दबा लेंगे. ये चित्र उकेरे हैं Julian Beever ने. Julian Beever इंग्लॅण्ड, फ्रांस, जर्मनी, अमरीका, आस्ट्रलिया, बेल्जियम के फुटपाथों पर अपनी चित्रकारी के लिए प्रसिद्द हैं. इनके चित्र त्रि-आयामी दृष्टिभ्रम के लिए विश्व भर में जाने जाते हैं. ध्यान से देखिये...आपको चित्रों के आर-पार फुटपाथ के पत्थरों के जोड़ नज़र आयेंगे.




























यूट्यूब पर इनका नाम डालकर आप और भी अनगिनत चित्र देख सकते हैं.

Thursday, March 26, 2009

डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, इन्टरनेट, सुरक्षा और अन्य मुद्दे.


डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड में बस एक ही मुख्य अंतर है और वो यह कि डेबिट कार्ड से आप अपने बैंक अकाउंट से पैसा निकलते हैं जबकि, क्रेडिट का मतलब है उधार, यानि क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली कंपनी आपके लिए पहले भुगतान करती है उसके बाद आपसे पैसा लेती है. यदि आप ध्यान से देखें तो पायेंगे कि कई बैंकों के डेबिट कार्ड पर भी किसी क्रेडिट कार्ड कंपनी का लोगो छापा रहता है. इसका कारण ये है कि बैंक का उक्त क्रेडिट कार्ड कंपनी से उसकी सेवाएँ प्रदान कराने का समझौता रहता है, वास्तव में डेबिट कार्ड धारक के लिए इसका उस समय तक कोई विशेष महत्व नहीं होता जब तक उसके अपने खाते में प्रयाप्त पैसा रहता है. डेबिट कार्ड को ही आजकल ATM कार्ड के नाम से भी जाना जाता है.

इस दृष्टि से देखा जाए तो इन्टर
हमेशा नेट-लेनदेन के सन्दर्भ में, डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड दोनों ही सामान दृष्टि से असुरक्षित हैं. बल्कि डेबिट कार्ड अधिक असुरक्षित हो सकता है क्योंकि किसी अन्य द्वारा दुरूपयोग की दशा में, आपके बैंक खाते में उपलब्ध पूरी ही राशि डेबिट कार्ड से निकली जा सकती है (यदि आपने सीमा न बाँधी हो तो) जबकि क्रेडिट कार्ड की एक निश्चित अधिकता सीमा होती ही है.

कई आपने बार देखा होगा कि कुछ प्रतिष्ठान क्रेडिट कार्ड से तो भुगतान स्वीकार कर लेते हैं किन्तु डेबिट कार्ड से नहीं. आप भी सोचते होंगे कि ऐसा क्यों जबकि डेबिट कार्ड से तो प्राप्तकर्ता को कार्ड-धारक के खाते से धन एकदम मिल जायेगा. इस दृष्टि से देखा जाये तो विक्रेता के लिए डेबिट या क्रेडिट कार्ड से भुगतान लेने में कोई अंतर नहीं है क्योंकि, डेबिट कार्ड के केस में उसे आपके बैंक से पैसा मिलता है और क्रेडिट कार्ड कि दशा में उसे क्रेडिट कार्ड कम्पनी (वीसा, मास्टरकार्ड इत्यादि) भुगतान कर देती है. वास्तव में, सचाई यह है कि क्रेडिट कार्ड कम्पनियां अपने-अपने कार्ड के प्रयोग के लिए विक्रेताओं को कमीशन देती हैं. और, कुछ क्रेडिट कार्ड कम्पनियां तो अपने उपभोक्ताओं को क्रेडिट कार्ड का अधिक से अधिक उपयोग कराने की दृष्टि से कई तरह के डिस्काउंट और इनामी प्रलोभन भी देती हैं.

कारण साफ़ है, क्योंकि क्रेडिट कार्ड कम्पनियां इस घाघ-उम्मीद में रहती हैं कि कार्ड उपभोक्ता समय से भुगतान तो नहीं ही करेगा और उन्हें ब्याज वसूलने का मौक़ा मिल जायेगा. यही कारण है कि प्रायः ऐसे शिकायतें मिलती रहती हैं कि समय से भुगतान करने के बाद भी क्रेडिट कार्ड कम्पनियां ग्राहकों के चेक लेट जमा करवाती हैं, कुछ क्रेडिट कार्ड कम्पनियां अपने भेजे बिल के बिना कार्ड धारक से भुगतान स्वीकार नहीं करतीं, भुगतान के नोटिस भुगतान-समय की सीमा अवधि के बाद मिलते हैं या बहुत कम समय रहते मिलते हैं. ऐसी सब शिकायतें यूँ ही नहीं है, क्योंकि ऐसा गलती से नहीं होता है बल्कि कुछ अवांछित किस्म की क्रेडिट कार्ड कम्पनियां ऐसा अपनी सोची समझी नीति के तहत करती हैं.

ये क्रेडिट कार्ड कंपनियाँ ऐसे मुर्गों की सूंघ में लगी रहती हैं जो अपनी हैसियत की चादर से ज़्यादा पाँव फैलाने से रत्ती भर भी परहेज़ नहीं करते. ऐसे लोगों को फाँस लेने के बाद, देसी साहूकारों की ही तरह ये भी चूस चूस कर उनका वो हाल करती हैं कि पूछो मत. देसी साहूकार तो कई बार गंगाजल की कसम उठवा माफ़ भी कर देते थे पर ये आज के ज़माने में भी, कोर्ट -कचेहरी से पहले मुस्टंडे भेज कर मार पिटाई और बेईज्ज़ती से भी गुरेज़ नहीं करतीं. ये आज भी 32% सालाना कि दर से ब्याज वसूलने पर उतारू हैं और सरकार व रिज़र्व बैंक सरीखी संस्थाओं की खुमारी है कि टूटटी ही नहीं, उन्मुक्त व्यापर व्यवस्था की दुहाई देते-देते.

दूसरों की थाली में झाँकने वालों को या तो अपनी हैसियत अच्छे से समझ-देख लेनी चाहिए या फिर उधार पर ही जीने वाले आज के अमेरिकनों की तरह, घर-बार से भाग कर ट्रेलरों में रहने को तैयार रहना चाहिए.
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इन्टरनेट पर क्रेडिट कार्ड से भुगतान असुरक्षित होने का नवीनतम उदहारण .

भारत में भी, आजकल क्रेडिट कार्ड से हवाई जहाज़ और रेल बुकिंग का चलन काफी बढ़ रहा है. इसके अतिरिक्त, आज कई अन्य प्रकार के भुगतान भी इन्टरनेट के माध्यम से किये जा रहे हैं. सवाल शुरू से ही रहा है कि क्या इन्टरनेट का प्रयोग इस तरह के भुगतानों के सन्दर्भ में वास्तव में ही पूर्णतः सुरक्षित है ?

इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि हाँ कंप्यूटर तकनीक की दुनिया में नित नया विकास हो रहा है. और ये निश्चित ही बीते हुए कल से अधिक सुरक्षित है. तो दूसरी ओर, आप इस बात से भी निश्चिंत रहें कि कंप्यूटर तंत्र में सेंध लगाने वाले भी हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठे हैं. वे भी हर दिन नए-नए हथकंडे खोजते और आजमाते रहते हैं.

किन्तु, जिस असुरक्षा कि बात यहाँ हो रही है उसमें तो लापरवाही की हद ही हो गयी. हाल ही में, ऑस्ट्रेलिया में एक सूचना-तकनीकी कर्मचारी ने गूगल पर सर्च करते हुए पाया कि करीब 22,००० क्रेडिट कार्ड की पूरी- की- पूरी जानकारी कार्ड- धारक के नाम, क्रेडिट कार्ड नंबर, पिन, पते इत्यादि सहित उपलब्ध है. कुछ अन्य देशों के अलावा इसमें मुख्यतः अमरीका और इंग्लॅण्ड के क्रेडिट कार्ड थे. ये क्रेडिट कार्ड वीसा, मास्टरकार्ड, अमेरिकन एक्सप्रेस, इत्यादि सभी प्रमुख कंपनियों के थे. इनमें से 19००० कार्ड तो अभी भी वैध थे.

इस कर्मचारी ने वीसा और मास्टरकार्ड को तुंरत इसकी सूचना दी लेकिन आपको ये जानकार और भी आश्चर्य हो सकता है कि दोनों कंपनियों ने उससे वापिस संपर्क साधने तक की ज़रुरत नहीं समझी, 'सवारियां अपने सामान की आप जिम्मेदार हैं' वाली मानसिकता केवल भारत तक ही सीमित नहीं है. हार कर उसने पुलिस को सूचित करने का फैसला किया.

ऐसा लगता है कि यह जानकारी विभिन्न कार्ड-उपयोगकर्ताओं और कार्ड-कंपनियों के बीच की कड़ी उस किसी आउटसोर्सिंग कम्पनी के सर्वर से गूगल ने ढूंढ निकाली, जिसका प्रयोग अब वह आउटसोर्सिंग कम्पनी नहीं कर रही थी. इससे आप यह भी जान ही सकते हैं कि आपके पैसे और आपके लेनदेन की सुरक्षा को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करने वाली ये कम्पनियां वास्तव में कितनी चिंतित हैं.

इस तरह की व्यक्तिगत आर्थिक जानकारी इन्टरनेट पर यूँ ही किसी को भी मिल जाने का मतलब आप समझ ही सकते हैं. इस तरह की जानकारी इन्टरनेट पर उपलब्ध होने के पीछे जहाँ गूगल के शक्तिशाली इंजिन हैं वहीँ दूसरी ओर, वेबसाइट्स की लचर सुरक्षा भी है. जिसके चलते इस तरह की जानकारी इन्टरनेट के जंगल में यहाँ-वहाँ पड़ी रह जाती है जिसके गलत हाथों में पड़ने की पूरी आशंका बनी रहती है.

आप यदि फिर भी इन्टरनेट पर क्रेडिट कार्ड का प्रयोग करना ही चाहते हैं तो बेहतर होगा कि आपके ऐसे क्रेडिट कार्ड की अधिकतम ख़र्च सीमा बहुत अधिक न हो. ये बात अलग है कि आमतौर पर लोग अधिक से अधिक ख़र्च सीमा वाले कार्ड लेना अपनी शान समझते हैं, भले ही उन्हें इतनी अधिक सीमा की आवशयकता न हो. सुझाव है कि आप दो अलग-अलग क्रेडिट कार्ड लें और कम सीमा के ख़र्च वाला कार्ड इन्टरनेट पर लेनदेन के लिए प्रयोग करें. ताकि दुर्घटनावश यदि आपके क्रेडिट कार्ड का दुरूपयोग हो भी जाए तो आपका आर्थिक नुक्सान सीमित रहे.
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Sunday, March 22, 2009

(संशोधित) मुबारक हो, ग्लोबल वार्मिन्ग भारत पहुंची

हम भारतीयों द्वारा, अभी तक यही माना जा रहा था कि बढ़ते वैश्विक तापमान के दुष्प्रभाव कहीं और हों या न हों लेकिन भारत इनसे अछूता ही रहने वाला है. हमें यूँ लगता रहा है कि बढ़ते पर्यावर्णीय तापमान का दुष्प्रभाव पहले दूसरे देशों पर होगा न कि भारत पर. लेकिन सच्चाई ये है कि इसके दुष्प्रभावों ने भारत के दरवाज़े पर भी दस्तक दे दी है, जिसके चलते....

सुंदरबन क्षेत्र के दो टापू लोहाचारा और सुपारीभंगा, पूरी तरह से, बंगाल की खाड़ी में खो चुके हैं और एक अन्य सबसे बड़े टापू घोडामारा का 40% भूभाग अब तक पानी में डूब चुका है. और मकान व ज़मीन पानी में निरंतर डूबते जा रहे हैं. इस टापू के निवासियों की कृषि भूमि पहले ही पानी में डूब चुकी है. जिसके चलते, धान की खेती करने वाले इसके हजारों किसान निवासियों के सामने रोज़ी-रोटी का सवाल भी मुंह बाए खड़ा है. इन किसानों की हालत केवल शरणार्थियों की ही नहीं बल्कि मानसिक शरणार्थियों की भी बन रही है.

भारत कि नेशनल कोस्टल रेग्युलेटरी अथोरिटी के अनुसार, बढ़ते पर्यावर्णीय तापमान के कारण विश्व में समुद्र का जल स्तर 1.82 मिलीमीटर प्रतिवर्ष की औसत से बढ़ रहा है लेकिन भारत के सुंदरबन क्षेत्र में इस वृद्धि की दर लगभग दुगनी यानि 3.14 मिलीमीटर प्रतिवर्ष है. यह अत्यंत चिंता का कारण है.

बंगाल की खाड़ी का निरंतर बढ़ता जल स्तर, लगातार कई टापुओं को लील रहा है. इस दशा, में भारत सरकार को ज़ल्दी से ज़ल्दी नीति निर्धारित कर, समय रहते ठोस कदम उठाने होंगे.
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Friday, March 20, 2009

क्या आप जीमेल (gmail) प्रयोग करते हैं ?


यदि आपका जीमेल अकाउंट है तो आपके लिए एक अच्छी ख़बर है. और वो अच्छी ख़बर यह है कि आपको अपने इ-मेल अकाउंट से ग़लत इ-मेल भेजने का डर दिल से निकाल देना चाहिए. क्योंकि जीमेल अब अपने इ-मेल प्रयोक्ताओं को ऐसी सुविधा दे रहा है जिसके चलते ग़लती से किसी और को इ-मेल भेजने का ख़तरा जाता रहेगा. इसी तरह, यदि आप सन्देश के साथ फाइल अटेच करना भूल गए हैं तो आप तुंरत अपने सन्देश को Undo बटन दबा कर, भेजे जाने से रोक सकते हैं.

यानि अगर आप किसी को इ-मेल भेजने का 'Send' बटन गलती से दबा भी दें तो आप इसे ठीक वैसे ही undo कर सकते हैं जैसे टाइपिंग के दौरान करते हैं. लेकिन इसकी अपनी सीमा है. क्योंकि आप जानते ही हैं कि जैसे ही आप send बटन दबाते हैं तो सन्देश आपके कंप्यूटर से निकल जाता है. ऐसे में क्या undo कमांड से कोई सॉफ्टवेयर उस सन्देश को लौटा लाने के लिए दौड़ पड़ता है? नहीं, आपने ठीक अंदाज़ लगाया. ऐसा करना कहीं दुरूह कार्य है. इसलिए गूगल आपको सुविधा देता है की आप चाहें तो आपका सन्देश, आपके द्वारा send बटन दबाने के बाद 1 से 5 सेकंड तक आपका कंप्यूटर नहीं छोडेगा. इस तरह से इसे 'टाइम डिले ऑप्शन' माना जा सकता है. यह कुछ कुछ ऐसा ही है जैसे ब्लॉगर में पोस्ट शेड्यूल करना. गूगल इस समय सीमा को शीघ्र बढ़ाकर 10 सेकंड करने वाला है.

और हाँ, यदि आप 0 सेकंड का विकल्प चुनते हैं तो इसका मतलब यह है कि आप सन्देश 0 सेकंड के लिए भी नहीं रोकना चाहते यानि, उसे तुंरत भेज देना चाहते हैं, इसलिए 0 सेकंड विकल्प वाले उपभोक्ताओं के संदेशों को undo नहीं किया जा सकता.

अभी यह विकल्प उपलब्ध करवाने में गूगल कुछ समय ले रहा है. किन्तु जल्दी ही ये, अपने सभी उपभोक्ताओं को यह विकल्प उपलब्ध करवा देगा.

यदि आप भी अपने इ-मेल अकाउंट में undo विकल्प जोड़ना चाहते हैं हैं तो,
1. अपना जीमेल अकाउंट खोलिए,
2. ऊपर दायीं तरफ आपके इ-मेल पते के बाद settings लिखा होगा, settings पर क्लिक कीजिये.
3. पेज के मध्य में एक बड़ा 'Settings' शीर्षक का मीनू खुलेगा,
4. इस मीनू की उपरी पट्टी पर दायें से दूसरा विकल्प 'labs' होगा. labs शब्द पर क्लिक करें.
5. अब, इस नए खुले मीनू में नीचे से ६ ठा, विकल्प (Undo send by Yuzo F) चुन कर उसे enable करें और, वापस ऊपर आकर बदलावों को सहेज लें.

मुबारक हो...आप तो छा गए -:) आपने अपने इ-मेल खाते में यह सुविधा सफलता पूर्वक जोड़ ली है. बस प्रतीक्षा कीजिये, गूगल किसी भी पल इसे चालू कर देगा और यह बटन आपके खाते में दिखाई देने लगेगा. लेकिन आप यहीं क्यों रुक गए...? इसके आलावा भी यहाँ दसियों दूसरी सुविधाएँ उपलब्ध हैं. इन्हें भी आज़माइए. और आपको जब भी लगे कि मजा नहीं आया तो वापस "अन्डू" -:) कर दें.
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Thursday, March 19, 2009

गूगल क्रोम एक्स्प्लोरर या फायरफॉक्स से कम नहीं है.


यदि आप एक्स्प्लोरर या फायर फॉक्स का प्रयोग कर रहे हैं तो आपको नया ब्राउजर गूगल क्रोम भी चला कर देखना चाहिए. इसमें कोई और बात हो या न हो, एक बात तो ज़रूर है कि यह एक्स्प्लोरर और फायर फॉक्स से कहीं अधिक तेज़ी से साइट्स खोलता है. इसमें गूगल की crawler तकनीक में महारत परिलक्षित होती है.

यह देखने में एकदम साफ़- सुथरा और सीधा- सादा लगता है, जैसा कि गूगल ने दावा भी किया है. इसमें पहले के दोनों चर्चित ब्राउजर सरीखे ड्राप डाउन मीनू नहीं हैं. बल्कि उन्हें ऊपर से हटा कर दायीं तरफ, 3 बटनों में बदल दिया गया है, जो मुझे अधिक सुविधाजनक लगा. अभी पता नहीं कि फायर फॉक्स की तरह के add ऑन इसमें भी देने का गूगल कोई विचार अभी रखता है या नहीं.

नया tab खोलने पर यह पहले खोले गए 9 पेज दिखाता है, आप चाहें तो सीधे यहीं से इनमें से किसी पर भी जा सकते हैं. इसमें सुविधा ये भी है कि आप चाहें तो एक से ज्यादा होमपेज का चुनाव भी कर सकते हैं, जो ब्राउजर खोलने पर देखे जा सकते हैं. जबकि पहले के दोनों ब्राउजर मैं केवल एक ही होमपेज का प्रावधान था, इसलिए यह इसमें नयी बात है. गूगल द्वारा किसी भी शब्द को सर्च करने के लिए आप सीधे एड्रेस बार में ही शब्द लिख कर उसे ढूंढ सकते हैं, इसके लिए अलग से नई विण्डो की ज़रुरत नहीं है.

इसमें क्रेश कंट्रोल होने का फीचर है और यह भी दावा किया गया है कि संदेहास्पद साइट्स को ब्लाक कर देता है, आशा की जानी चाहिए कि गूगल समय समय पर ब्राउजर को अपडेट भी करता रहेगा.

यद्यपि इसमें फायर फॉक्स का वह फीचर नहीं है, जिससे आप ब्राउजर बंद होने के साथ ही cookies को अपने आप डिलीट करने का प्रावधान कर सकें.

कुल मिलाकर, मेरे विचार से, यदि आप बदलाव के हामी हैं तो आपको गूगल क्रोम ज़रूर टेस्ट करना करना चाहिए, वरना पुराना ब्राउजर तो है ही. यह डाउनलोड होने में बहुत ज़्यादा समय नहीं लेता है. गूगल क्रोम डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक्क करें.

Sunday, March 15, 2009

नैनो के बाद टाटा ला रहे हैं हवा से चलने वाली कार.


अभी तक आपने बस यही देखा होगा कि पेट्रोल पम्प पर, टायरों में हवा भरने वाला एक एयर-कोम्प्रेस्सर कहीं कोने में लगा होता है. लेकिन अब ऐसे पेट्रोल पम्पों के नज़ारे बदलने वाले हैं. आप देखेंगे कि हवा भरने वाले कोम्प्रेस्सर कोने के बजाये शान से, पेट्रोल डिसपेंस्रों की जगह लगे होंगे. क्योंकि बहुत ज़ल्द, हवा से चलने वाली कारें आने वाली हैं.

यह बातें कार की ही तरह हवाई नहीं हैं. फ्रांस की एक कार कंपनी मोटर डेवलपमेंट इन्टरनेशनल (MDI)
ने यह कार तैयार कर प्रर्दशित भी कर दी है. यह कार 2 मिनट की रिचार्जिंग के बाद 200-300 किलोमीटर तक चल सकती है. इस रिचार्जिंग की कीमत है लगभग 1.5 यूरो (1 यूरो = 66.51 रु.) यानि 100 रूपये. इस कार की अधिकतम गति सीमा 110 किलोमीटर प्रति घंटा नापी गयी है पर आमतौर पर इसे 70-80 की अधिकतम गति से चलाने की मान्यता है. भारतीय शहरों के लिए यह गति कोई कम भी नहीं है.

सूचना यह भी है की यह कार सपनों की कार ही नहीं है बल्कि यह कार भारत में भी आने को है. क्योंकि इस कर के इंजन अनुसंधान में भारत की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी टाटा मोटर्स ने पूँजी लगाई हुई है, जिसके बदले
में टाटा को यह कार भारत में बनाने और बेचने का अधिकार है.

यदि आप इस कार को वास्तव में ही चलते फिरते देखना चाहते हैं तो आपके लिए यू ट्यूब से कुछ लिंक नीचे दिए जा रहे हैं.
http://www.youtube.com/watch?v=JxcJ0fOrT0I
http://www.youtube.com/watch?v=Ffl1LJ5EmiM&feature=related
http://www.youtube.com/watch?v=rldgXhLW0h0&feature=related
http://www.youtube.com/watch?v=FKc46Bihi3s&feature=related
http://www.youtube.com/watch?v=uVIwropRMME&feature=related
http://www.youtube.com/watch?v=D-A3XHFT5qc&feature=related
http://www.youtube.com/watch?v=gFbKINlXzRk&feature=related
http://www.youtube.com/watch?v=f4w6aJMNXSk&feature=related
http://www.youtube.com/watch?v=j_20rd7mJlA&feature=related
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Saturday, March 14, 2009

अवास्त ! एक मस्त एंटी- वायरस सॉफ्टवेयर है...

एंटी- वायरस की दुनिया इतनी बड़ी है कि जितने मुंह उतनी बातें. और, आमतौर से जिस किसी के कंप्यूटर में जो भी एंटी- वायरस डला होता है वह उसी को दुनिया का सबसे बढ़िया एंटी- वायरस सॉफ्टवेयर मानता है....कम से कम उस दिन तक तो वह ऐसा ही मानता है जिस दिन तक उस एंटी- वायरस सॉफ्टवेयर के बावजूद उसके कंप्यूटर में वायरस न आ जाए. वायरस आ जाने के बाद नये एंटी- वायरस सॉफ्टवेयर की तलाश शुरू होती है. लेकिन उसे ठीक से कोई जवाब नहीं मिलता. इसलिए यह तो तय है कि कोई भी एंटी- वायरस सॉफ्टवेयर अंतिम नहीं है.

तो किस आधार पर माना जाये कि फलां एंटी- वायरस सॉफ्टवेयर अच्छा है या नहीं. इसलिए ज़रूरी है कि कुछ आधारभूत बातें जान ली जाएँ और उसके बाद यह उपभोक्ता पर छोड़ दिया जाये कि वह किसे अच्छा या बुरा एंटी- वायरस सॉफ्टवेयर मानता है. उदाहरण के लिए,

--अवास्त का होम एडीशन 60 दिन के लिए मुफ्त उपलब्ध है. यदि उपभोक्ता इसे साल में एक बार रजिस्टर कराता रहे तो यह आजीवन मुफ्त उपलब्ध है. जबकि आमतौर से एंटी- वायरस सॉफ्टवेयर के फुल वर्ज़न यूँ मुफ्त नहीं मिलते.
--अवास्त करीब 30 mb साइज़ का है जो कोई बहुत बड़ा साइज़ नहीं है.
--ये no-frill सॉफ्टवेयर है जो आम उपभोक्ता की ज़रुरत के सभी काम करता है न कि फालतू के लुभावने काम.
--अवास्त को यदि ऑटो-अपडेट करने दें तो आप पायेंगे कि ये दिन में कई बार अपडेट किया जाता है, जो
कि अपने आप में एक अपवाद है.
--ये एक सीधे- सादे इंटरफेस वाला सॉफ्टवेयर है, इसलिए initialization बहुत ज़ल्दी होता है.
--एंटी- स्पाइवेयर और एंटी- रूटकिट इसमें पहले से ही है इसलिए अलग से इनकी ज़रुरत नहीं होती.
--स्वयं को भी वायरस से बचाने में ये अच्छा सक्षम है.
--सिस्टम इन्टेग्रेशन की दृष्टि से भी ये उत्तम है.
--32 के अतिरिक्त ये 64 bit विण्डोज के साथ भी काम कर सकता है. इसे विण्डोज-98, विण्डोज-2000, विण्डोज me, विण्डोज xp और विण्डोज विस्टा के साथ प्रयोग किया जा सकता है.
--इसे कंप्यूटर आरम्भ होने से पहले भी शेड्यूल किया जा सकता है, जिससे बूट सेक्टर के वायरस भी पकड़े जा सकते हैं.
--नेटवर्क, चैट और P2P को चेक करने में भी ये सक्षम है. कुल मिलकर ये 7 से भी अधिक तरह की shield प्रदान करता है.
--और सबसे बड़ी बात, अगर आप अवास्त के बावजूद वायरस के मकड़ जाल में फँस गए हैं और आप मुफ्त वर्ज़न के उपभोक्ता हैं तो भी अवास्त टीम द्वारा आपकी इ-मेल का जवाब दिया जाता है.

इसकी जो कुछ छोटी-मोटी कमिया नज़र आयीं उनमें से वे यूँ गिनी जा सकती हैं जैसे:- यदि कंप्यूटर की ram और हार्ड डिस्क में स्पेस कम है तो ये सिस्टम को धीमा कर सकता है, फुल स्कैनिंग करते वक्त ये कुछ धीमा लग सकता है.

यदि आपकी समस्या का समाधान करने अपेक्षा मैंने आपको और confuse कर दिया हो तो आप दूसरों की राय से भी अवगत हो सकते हैं. ये राय जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें http://www.pcworld.com/downloads/file/fid,64535/description.html# और लाल रंग के "download now" बटन के नीचे अपनी जिज्ञासा अनुसार पढें.

अब ये फैसला आपका है की आप किसे अच्छा एंटी- वायरस सॉफ्टवेयर मानते हैं.

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साइबर-दुनिया में भी भाई लोग हैं ..

बीबीसी की एक अन्वेषण टीम ने खुलासा किया है कि आपके घर का कंप्यूटर भी हेक्कर्ज़ के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना किसी अन्य व्यवसाय का कंप्यूटर नेटवर्क. बीबीसी का यह कार्यक्रम आज 14 मार्च को प्रसारित होना शेष है.

ये हेक्कर आपको पता चले बिना आपके कंप्यूटर का प्रयोग स्पैम मेल भेजने के लिए करते हैं. आपका डाटा चुरा लेना तो पुरानी बात हो गयी है. हेक्कर आपके कंप्यूटर पर किसी भी इन्फेक्टेड वेब साईट से आ सकते हैं या फिर उसी पुराने तरीके से, जिसमें इमेल के साथ वाइरस वाली फाइल अटेच होकर आती है.

अभी तक तो आपने केवल हफ़्ता वसूली वाले या अपहरण करने वाले भाई लोगों के बारे में ही सुना होगा, किन्तु इस टीम ने यह भी खुलासा किया है कि साइबर अपराधियों की दुनिया में ऐसे भी लोग हैं जो बहुत अधिक इन्टरनेट ट्रैफिक वाली वेब साइट्स को यह धमकी देकर उगाही करते हैं कि अगर उन्हें पैसे नहीं मिले तो वे उनकी साइट्स पर इतना नकली ट्रैफिक भेज देंगे कि उनकी बैंडविड्थ पूरी तरह से chock हो जायेगी और, कोई अन्य उपभोक्ता उनकी साईट तक नहीं पहुँच सकेगा. इस तरह से बैंडविड्थ हथिया लेने के लिए ये हेक्कर्ज़ पहले से हैक किये हुए घरेलू कंप्यूटर प्रयोग में लाते हैं.

इन हेक्कर्ज़ से बचने का एकमात्र उपाय एंटी वाइरस को अपडेट करते रहना है. Avast एक अच्छा, विश्वसनीय और मुफ्त उपलब्ध एंटी वाइरस है जो अपने -आप निरंतर अपडेट भी होता रहता है. शर्त केवल साल में एक बार मुफ्त रजिस्टर करने की है. यह बहुत कम मेमोरी खाने वाला एंटी वाइरस है.

गूगल वोयेस-मेल को इ-मेल में बदल रहा है...


गूगल वोयेस-मेल को इ-मेल में बदलने को है. गूगल जल्द ही ऐसी तकनीकि के साथ बाज़ार में आ रहा है जिसके अंतर्गत, गूगल मेल के प्रयोक्ता अपने वोयेस-मेल संदेशों को अपने इ-मेल अकाउंट में रख सकेंगे. इसका सबसे बड़ा फ़ायदा यह होगा कि

यदि कोई अपने इ-मेल इन्बोक्स में से किसी भी सन्देश को खोजना चाहेगा तो आवाज पहचानने वाले सॉफ्टवेयर की मदद से वह ढेरों संदेशों में से उसे खोज सकेगा. इतना ही नहीं, गूगल यह सुविधा भी प्रदान करने का विचार रखता है कि यदि कोई ऐसे वोयेस-मेल को इ-मेल के माध्यम से यदि टेक्स्ट रूप में भेजना चाहे तो आवाज पहचानने वाला सॉफ्टवेयर उस सन्देश को टेक्स्ट में बदल देगा. लेकिन अभी ये तय नहीं है कि गूगल यह सुविधा अपने gmail के उन खाता धारकों भी मुफ्त में देगा या नहीं जिनसे इ-मेल खातों के लिए वह कोई शुल्क नहीं लेता है.

स्काईपे ने अभी हाल ही में अपने ग्राहकों के लिए ऐसी ही सुविधा प्रारंभ की है. कुछ दूसरी कंपनियों द्वारा फ्रांस और स्पेन में भी ऐसी ही सुविधायें हाल ही के समय में शुरू की गयी हैं. इस दृष्टि से गूगल का यह कदम नया नहीं है लेकिन गूगल की अंतर्राष्ट्रीय पहुँच के चलते दुनिया के अधिकाँश उपभोक्ता इसी माध्यम से इन सुविधाओं से परिचित होंगे.

Monday, March 9, 2009

आज यह कॉर्डलेस की ही दुनिया है प्यारे..


कॉर्डलेस (वायरलेस) माउस और कीबोर्ड के बाद अब बारी है बिना तार के कम्प्यूटर मॉनीटर की. यह कंप्यूटर मॉनीटर Asus नाम की कम्पनी बहुत ज़ल्दी लेकर आ रही है. इसे पिछले सप्ताह जर्मनी के तकनीकि मेले में प्रर्दशित किया गया.

यह LCD मॉनीटर है और इसे 20% कम ऊर्जा की खपत वाला मॉनीटर भी बताया जा रहा. कम ऊर्जा की ख़पत माने कम प्रदूषण, इसलिए इसे ग्रीन मॉनीटर की संज्ञा भी दी गयी है. कंपनी इस मॉनीटर के बारे में अभी ज्यादा कुछ नहीं बताना चाहती. अभी ये तय नहीं है कि किस तारीख़ से बाज़ार में यह उपलब्ध होगा. न ही इसकी कीमत के बारे में बताया गया है किन्तु अनुमान है कि यह सस्ता तो नहीं ही होगा. यद्यपि इसकी तस्वीर कहीं बेहतर होने का दावा किया गया है.

Sunday, March 8, 2009

ओह..! क्या आप torrents डाउनलोड नहीं करते ?


यदि आप इन्टरनेट से संगीत या फिल्में डाउनलोड करते हैं (या करने कि चाह रखते हैं) लेकिन आपने torrents का नाम नहीं सुना तो समझिये कि आपकी आधी जिंदगी और आधी बैंडविड्थ, दोनों, व्यर्थ चली गयीं. YouTube जैसी साइट्स के माध्यम से संगीत या फिल्में डाउनलोड करने से कहीं बेहतर है कि संगीत या फिल्म आदि के Torrent डाउनलोड किये जाएँ. इन्टनेट पर अनगिनत प्रकार की फिल्में और संगीत मुफ्त और वैध तरीके से उपलब्ध हैं.

सचाई तो यह है कि आज इन्टरनेट सूचना / ज्ञान का माध्यम नहीं है बल्कि डाउनलोड का माध्यम है.

इस सम्बन्ध में कुछ तकनिकी बातें :- Torrent एक फाइल एक्सटेंशन है ठीक वैसे ही जैसे exe या zip इत्यादि. इस एक्सटेंशन का प्रयोग peer-to-peer (P2P) प्रोग्राम और Torrent का प्रयोग करने वाले कंप्यूटरों के बीच होता है. इस प्रक्रिया को Torrent प्रोटोकोल कहा जाता है. आमतौर से, बड़े साइज़ की फाइलें इसी प्रोटोकोल के तहत भेजी जाती हैं. आज इन्टरनेट पर ३५% से भी ज्यादा डाटा-एक्सचेंज इसी प्रोटोकोल के तहत होता है. डायल-अप की अपनी सीमा है इसलिए बेहतर होगा कि बड़ी फाइलों के डाउनलोड के सन्दर्भ में ब्रोडबैंड की ही बात की जाए. तकनीकि बातें समाप्त हुईं -- :)

यदि आप भी संगीत या फिल्म (जिसे संगीत / फिल्म का Torrent कहेंगे) डाउनलोड करना चाहते हैं तो आपको अपने कंप्यूटर पर एक बेहद छोटा सा सॉफ्टव्येर डाउनलोड कर इंस्टाल करना होगा जो www.utorrent.com या www.bittorrent.com पर मुफ्त उपलब्ध है. इसके बाद आपको उपरोक्त दोनों साईट सहित किसी भी Torrent उपलब्ध कराने वाली साईट पर जाना होगा और अपनी पसंद का संगीत / फिल्म का Torrent डाउनलोड करना होगा. अन्य कई साईट में से कुछ हैं :- www.torrentz.com, www.mininova.org, www.bittorrent.com आदि. www.isohunt.com इसका एक अच्छा उदाहरण है.

यहां पर, अपनी पसंद की Torrent फाइल पर क्लिक्क करने के बाद एक मीनू पॉप-अप होगा जिसमें पूछा जायेगा कि आप इस फाइल को किस प्रोग्राम के माध्यम से खोलना चाहेंगे. आप अपने कंप्यूटर पर पहले से इंस्टाल किये गए utorrent / bittorrent को सेलेक्ट करें. इसके बाद, यह डाउनलोड संपन्न होता हुआ दिखायेगा और फिर, utorrent / bittorrent का मीनू खुल जायेगा जिसमें फाइल अपने आप डाउनलोड होने लगेगी. यह फाइल आमतौर से My Documents के भीतर Downloads फोल्डर में डाउनलोड होती है, पर आप चाहें तो इसका स्थान बदल भी सकते हैं.

डाउनलोड पूरा होना फाइल के साइज़ और कनेक्टिविटी स्पीड पर निर्भर करता है. फाइल डाउनलोड होने के बाद आप इसे अपने मनपसंद सॉफ्टव्येर में रन कर सकते हैं. कभी कभी आपको कुछ अनजान फॉर्मेट की फाईलें भी मिलेंगी, डरें नहीं, इन फाईलों को खोलने के लिए बस इन्टरनेट पर उपयुक्त सॉफ्टव्येर ढूंढ कर इंस्टाल कर लें. सच मानिये, यदि आपने torrents का स्वाद चख लिया है तो आप YouTube की फाइलों को चिमटे से भी नहीं छूना चाहेंगे.
सारांश:-
१. www.utorrent.com / www.bittorrent.com से सॉफ्टवेअर डाउनलोड करें.
२. फिर इसे कंप्यूटर पर इंस्टाल करें.
३. www.isohunt.com साईट पर जाकर कोई भी मनपसंद फाइल क्लिक करें.
४. pop-up मीनू में 'open/download with" के लिए utorrent / bittorrent सिलेक्ट करें. और बस, आपका काम ख़त्म हो गया.
५ आपकी पसंददीदा फाइल download होनी शुरू हो जायेगी.

YouTube से संगीत डाउनलोड का बेस्ट तरीका...

यदि आप youtube से संगीत डाउनलोड करते हैं तो आप जानते होंगे कि youtube से संगीत डाउनलोड करना तो आसान है पर यहाँ संगीत ढूंढ़ना तभी संभव है गर आपके पास थोड़ा समय और सब्र है.

यदि आप youtube से संगीत डाउनलोड करते हैं तो आप जानते होंगे कि youtube से संगीत डाउनलोड करना तो आसान है पर यहाँ संगीत ढूंढ़ना तभी संभव है गर आपके पास थोड़ा समय और सब्र है. क्योंकि youtube पर संगीत के अतिरिक्त कई तरह के और भी ऑडियो- वीडियो दुनिया भर के इन्टरनेट प्रयोक्ता अपलोड करते रहते हैं. इसलिए संगीत ढूँढने का काम थोड़ा दुरूह हो जाता है.

लेकिन अब आपके लिए यह काम इतना मुश्किल भी नहीं रह गया है यदि आप Muziic साईट पर चले जाएँ तो. यह साईट youtube पर अपलोड किये गए संगीत को छांट कर एक जगह इकठ्ठा करती है, आपके लिए. ठीक वैसे ही जैसे ब्लोग्स के केस में चिट्ठाजगत, ब्लोग्वानी इत्यादि एग्ग्रीगेटर करते हैं. आप एक तरह से कह सकते हैं कि Muziic, youtube के संगीत का एग्ग्रीगेटर है. सबसे अच्छी बात ये है कि Muziic कॉपीराइट के पचड़े से भी बाहर है क्योंकि यदि कोई मुद्दा है भी तो वह youtube और संगीत पर अधिकार जताने वाले के बीच है.

Saturday, March 7, 2009

सॉफ्टवेअर डाउनलोड की कुछ बेहतरीन साइट्स

यदि आप कुछ बेसिक सॉफ्टवेअर डाउनलोड करना चाहते हैं तो आपके पास दो रास्ते हैं. या तो आप एक एक कर, उन्हें सॉफ्टवेअर कम्पनी की साईटस से डाउनलोड करें. या फिर आप किसी ऐसी साईट पर जायें जहाँ विभिन्न सॉफ्टवेअर एक ही जगह डाउनलोड के उपलब्ध हों. ऐसी ही कुछ बढ़िया साईटस में से दो हैं :- http://mustdownloads.com/ और http://filehippo.com/ इनमें से एक साईट तो हिंदी में भी है :-http://hi.mustdownloads.com/ आप भी try करें.


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