एंटी वायरस बनाने वाली कंपनी सीमेंटिक के हवाले से रायटर ने ख़बर दी है कि आजकल नक़ली एंटी वायरस का जाल बहुत तेज़ी से फैल रहा है. ख़बर के अनुसार लगभग ४.५ करोड़ कंप्यूटरों पर इस समय ऐसे प्रोग्राम लदे पड़े हैं. |
इन प्रोग्रामों की खूबी ये है कि नेट-सर्फ़िंग के दौरान ये बस यूँ ही प्रकट होते हैं. स्क्रीन पर संदेश आता है कि आपका कंप्यूटर फ़लाँ-फ़लाँ वायरस से प्रभावित है, इसे दूर करने के लिए स्कैन कीजिए. इस वायरस क्लीनर का नाम और डिज़ाइन आपको सुने-देखे से लगेंगे और डाउनलोड का विकल्प भी मिलेगा. इसे दबाते ही आपको लगेगा कि सॉफ़्टवेयर बड़ी तेज़ी से डाउनलोड होकर इंस्टाल हो गया. फिर रिपोर्ट आएगी कि फ़लाँ-फ़लाँ वायरस क्लीन कर दिए गए हैं. |
वास्तव में कंप्यूटर पर कोई वायरस था ही नहीं अलबत्ता, इस बीच एक स्पाइवेयर कंप्यूटर में बस ज़रूर गया. ऐसे कुछ प्रचलित वायरस हैं SpywareGuard2009, AntiVirus 2009, AntiVirus 2010, Spyware Secure,XP AntiVirus इत्यादि. |
ये वायरस कंप्यूटर से डाटा तो उड़ा ही लेते हैं, कंप्यूटर का भट्ठा भी बैठा देते हैं. भलाई इसी में है कि मुफ़्त का लालच न किया जाए. |
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.काजल कुमार |
Monday, October 19, 2009
ओह ! कहीं आप भी ये एंटी वायरस तो नहीं ले बैठे ?
Sunday, October 18, 2009
OLED एक जादुई अविष्कार है.
LED के बारे में तो आपने ज़रूर पढ़ा-सुना होगा. आइए आज आपको एक नई तकनीक OLED के बारे में बताएँ. |
OLED का विचार तो यूँ आधी सदी से भी पुराना है किंतु इसका व्यवसायिक प्रयोग अब जाकर 2004 से होने लगा है क्योंकि इसे प्रखर होने में बहुत समय लग गया. इसकी विशेषता यह है कि इसे किसी भी सतह पर प्रयुक्त किया जा सकता है चाहे वह सपाट शीशा हो या लचीला प्लास्टिक. इसलिए कहा जा सकता है इसके प्रयोग की संभावनाएँ अपार हैं. दृश्य LED स्क्रीन के मुकाबले OLED स्क्रीन पर कहीं बेहतर दिखाई देते हैं. |
OLED का पूरा नाम है organic light emitting diode. इस तकनीक के अंतर्गत किसी भी सतह पर एक जैवि क पदार्थ लगाया जाता है जिसमें विद्युत प्रवाहित करने से जैवि क पदार्थ चमकने लगता है. इसके अतिरिक्त PLED भी प्रयुक्त होने लगा है, जिसमें जैविक पदार्थ का स्थान पोलीमर (polymer) ने लिया है. OLED की संभावनाओं की एक बानगी यहां क्लिक करके देखें, आपको अपनी आंखों पर भरोसा नहीं होगा. |
सैमसंग आज OLED का प्रयोग करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है. इसके अतिरिक्त सोनी, एल.जी. आदि दूसरी कंपनियाँ भी इसके प्रयोग में पीछे नहीं हैं. इस तकनीक का प्रयोग टी.वी. स्क्रीन, मोबाईल स्क्रीन, डिजिटल कैमरा स्क्रीन आदि में हो रहा है. ईस्टमैन कोडक व अन्य लोगों के पास इस तकनीक के प्रतिलिप्याधिकार हैं. आज सैमसंग, सोनी, एल.जी. के अतिरिक्त ड्यूपांट और जनरल इलेक्ट्रिक ग्लोबल रिसर्च जैसी दूसरी कंपनियाँ भी बड़े पैमाने पर ओलेड पैनेल बना रही हैं. |
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-काजल कुमार |
Saturday, October 3, 2009
ट्विट्टर के आजकल बुरे दिन चल रहे हैं
जिस ट्विट्टर ने आते ही सबका दिल जीत लिया, आजकल बुरे समय से गुज़र रहा है. बहुत से virus और malware बनाने वालों ने बड़ा सीधा नुस्ख़ा अपनाया है. ये लोग किसी नक़ली ID में ठीक दूसरे ट्विट्टर सदस्यों की ही तरह दिखाई देते हैं. |
जब भी कोई, ऐसी किसी भी ID के URL को क्लिक करता है तो वह धर लिया जाता है. या तो उसका कंप्यूटर वायरस/ malware से पटने लगता है उसकी ID से ऐसे संदेश ट्विट्टर पर जाने लगते हैं जिनसे उसका कोई वास्ता नहीं होता. |
नॉरटन एंटी वायरस बनाने वाली कंपनी सीमेंटिक के अनुसार फायरफॉक्स और एक्सप्लोरर दोनों ही, सुरक्षात्मक प्लग-इन उपलब्ध करवा रहे हैं लेकिन इनकी सीमा ये है कि ये केवल क्लिक किए जाने वाले URL का पूरा पता दिखाते हैं पर, इस बात का निश्चय करना उपभोक्ता पर निर्भर करता है कि वह उसे समझ कर क्लिक करे या न करे. |
इसलिए ट्विट्टर सदस्यों की भलाई इसी में है कि वे ट्विट्टर पर किसी भी URL को क्लिक करने से पहले सुनिश्चित कर लें कि कहीं वे कोई ख़तरा तो मोल लेने नहीं जा रहे! |
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-काजल कुमार |
ट्विट्टर के आजकल बुरे दिन चल रहे हैं
जिस ट्विट्टर ने आते ही सबका दिल जीत लिया, आजकल बुरे समय से गुज़र रहा है. बहुत से virus और malware बनाने वालों ने बड़ा सीधा नुस्ख़ा अपनाया है. ये लोग किसी नक़ली ID में ठीक दूसरे ट्विट्टर सदस्यों की ही तरह दिखाई देते हैं. |
जब भी कोई, ऐसी किसी भी ID के URL को क्लिक करता है तो वह धर लिया जाता है. या तो उसका कंप्यूटर वायरस/ malware से पटने लगता है उसकी ID से ऐसे संदेश ट्विट्टर पर जाने लगते हैं जिनसे उसका कोई वास्ता नहीं होता. |
नॉरटन एंटी वायरस बनाने वाली कंपनी सीमेंटिक्स के अनुसार फायरफॉक्स और एक्सप्लोरर दोनों ही, सुरक्षात्मक प्लग-इन उपलब्ध करवा रहे हैं लेकिन इनकी सीमा ये है कि ये केवल क्लिक किए जाने वाले URL का पूरा पता दिखाते हैं पर, इस बात का निश्चय करना उपभोक्ता पर निर्भर करता है कि वह उसे समझ कर क्लिक करे या न करे. |
इसलिए ट्विट्टर सदस्यों की भलाई इसी में है कि वे ट्विट्टर पर किसी भी URL को क्लिक करने से पहले सुनिश्चित कर लें कि कहीं वे कोई ख़तरा तो मोल लेने नहीं जा रहे! |
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-काजल कुमार |
Friday, October 2, 2009
ये भी बदा है इंटरनेट के युग में
रायटर की ख़बर है कि एक दस साल की लड़की ने ई-बे वैबसाइट पर अपनी ६१ साल की नानी को नीलामी के लिए रख दिया. और उस पर ख़ूबी ये कि २७ लोगों ने बोली भी लगा दी. |
इस बोली के लिए कोई न्यूनतम आरक्षी मूल्य नहीं रखा गया था. नानी की खूबियां गिनाते हुए कहा गया कि ये पेंशन पर हैं, प्यार करती हैं और चाय पीना पसंद करती हैं. ई-बे ने यह विज्ञापन अपनी साइट से इसलिए हटाया क्योंकि वे मनुष्य की बिक्री के विज्ञापनों की अनुमति नहीं देती. |
दूसरी ओर, इंग्लैंड के उच्च न्यायलय ने फ़ैसला किया है कि वह नोटिस भेजने के लिए ट्विट्टर का प्रयोग करेगा. कारण यह है कि एक छद्मनामधारी सज्जन विभिन्न राजनीतिज्ञों के विरूद्ध http://twitter.com/blaneysblarney से टिप्पणीयों देते रहते हैं. लेकिन इस व्यक्ति की वास्तविकता के बारे में पता न चलने के कारण यह निर्णय लिया गया है कि इसे नोटिस इसी के ट्विट्टर के माध्यम से भेजा जाए. |
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-काजल कुमार |
भारत अमरीका की तर्ज़ पर सुरक्षा उपाय कर रहा है
अमरीका में ११ सित. के बाद कोई आतंकवादी हमला नहीं हुआ जिसका मुख्य कारण, वहाँ तैनात की गई सुरक्षा प्रणाली है. इस सुरक्षा प्रणाली में विस्त़ृत डेटाबेस और एक ऐसी प्रक्रिया स्थापित किए गए हैं जिनके चलते किसी भी व्यक्ति के कहीं भी होने की समुचित जानकारी उपलब्ध रहती है. |
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इसी तर्ज़ पर, भारत दो प्रणालियाँ Crime and Criminal Tracking Network & Systems (CCTNS) और National Intelligence Grid (NATGRID) स्थापित करने जा रहा है. इन दोनों प्रणालियों की स्थापना से पूरे देश में सुरक्षा तंत्र की एक नई परिभाषा स्थापित होने जा रही है. CCTNS के तहत सभी पुलिस थाने आपस में जुड़ जाएँगे और पुलिस चौबीसों घंटे पूरे देश में, किसी की भी जानकारी रख पाएगी. |
इसी माह स्थापित किए जा रहे नैटग्रिड के पास विश्वस्तरीय डेटाबेस होगा जो सभी सुरक्षा एजेंसियों को उपलब्ध होगा. इस डेटाबेस को दूसरे डेटाबेसों के साथ जोड़े जाने की क्षमता होगी. नैटग्रिड में सी.बी.आई., राष्ट्रीय जाँच एजेंसी, राजस्च गुप्तचर निदेशालय सरीखी गुप्तचर शाखाओं के अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी. नैटग्रिड की पहुँच देश के सभी डेटाबेसों तक होगी जिसमें बैंक, बीमा कंपनियाँ, आप्रवासन, आयकर विभाग इत्यादि शामिल हैं. |
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-काजल कुमार |