क्या आपने कभी सोचा है कि समुद्र भी सूख सकते है ! यदि नहीं तो आइए आपको एक ऐसे ही एक समुद्र से मिलवया जाए जिसे अभी कल ही तक अराल समुद्र के नाम से जाना जाता था. यह आज के कज़ाकिस्तान और उज़बेकिस्तान के मध्य स्थित है, एक समय इसमें 1500 टापू हुआ करते थे. इसका क्षेत्रफल 1960 में 68,000 skm. था जो आज घट कर केवल 10% रह गया है. और ऐसा हुआ है तत्कालीन सोवियत संघ द्वारा इसे पानी उपलब्ध करवाने वाली दोनों नदियों का प्रवाह मोड़ देने से. तत्कालीन शासन द्वारा खेती के लिए पानी उपल्ब्ध करवाने की नीति के अंतर्गत इन नदियों का प्रवाह मोड़ दिया गया था. |
आज इस मोड़े गए पानी के प्रवाह का केवल 12% भाग पक्का है शेष भाग कच्चा होने के कारण पानी का बहुत बड़ा हिस्सा वाष्पीकृत होकर नष्ट हो जाता है. अराल समुद्र के सूखने के कारण जहां एक ओर पर्यावरण नष्ट हो गया है वहीं दूसरी ओर समुद्र पर जीवनयापन को निर्भर लोगों की जीवनशैली बदल गई है. यद्यपि 1994 में कज़ाकिस्तान, उज़बेकिस्तान, तुर्कमीनिस्तान, ताज़ीक़िस्तान और क्रिगीस्तान ने समाझौता किया था कि वे अपने-अपने बजट का 1% इस समुद्र को बचाने के प्रयासों के लिए देंगे लेकिन कोई बहुत बड़ा अंतर देखने में अभी नहीं आया है. आशा करनी चाहिये कि मनुष्य इस बात को समझेगा कि दूर की न सोचने पर इस तरह के परिणाम सामने आते हैं. |
अच्छी जानकारी… धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत सुंदर जानकारी दी है !!
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