यह ऑपरेटिंग सिस्टम ओपन सोर्स आधारित होगा यानी यह मुफ़्त तो होगा ही इसमें प्रयोक्ता जैसा चाहे वैसा बदलाव भी कर सकेगा. इसे ज़ीरो बूट टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम कहा जा रहा है यानि कंप्यूटर स्टार्ट होने में उतना ही समय लेगा जितना समय कंप्यूटर DOS के दिनों में लिया करते थे. यह कंप्यूटर-संसाधनों की दृष्टि से बहुत हल्का और हैंग न होने वाला ऑपरेटिंग सिस्टम होगा. इसके लिए लिखे जाने वाले एप्लीकेशंस दूसरे ऑपरेटिंग सिस्टम पर भी चल सकेंगे जबकि आज लीनक्स के और विंडोज़ के एप्लीकेशंस एक दूसरे पर नहीं चलते हैं. इस ऑपरेटिंग सिस्टम पर अलग से ब्राउज़र की ज़रूरत नहीं रहेगी जैसे कि आज फ़ायरफ़ाक्स, एक्सप्लोरर आदि की ज़रूरत रहती है. गूगल क्रोम ब्राउज़र इस ऑपरेटिंग सिस्टम का ही एक हिस्सा हो जाएगा, जबकि अभी यह अलग से बाज़ार में उतारा गया है. यह ऑपरेटिंग सिस्टम इंटनेट को ध्यान में रख कर बनाया गया है. इसे पुराने 286 से लेकर लैपटाप सहित किसी भी नवीनतम कंप्यूटर पर चलाया जा सकेगा. इसे अलग से एंटी-वायरस और अपडेट्स की ज़रूरत नहीं होगी और न ही नए नए हा्र्डवेयर के लिए ड्राइवरज़ की, क्योंकि गूगल इस ऑपरेटिंग सिस्टम को लगातार अपडेट करने की बात कर रहा है. |
जी हाँ हो सकता है कि आपकी भविष्यवाणी सच हो..
ReplyDeleteक्या आज से ५ साल पहले किसी ने सोचा था कि माइक्रोसोफ़्ट को कोई टक्कर दे पायेगा पर गूगल ने कर दिखाया ।
अभी यह कहना जल्दबाजी होगी. नए ऑपरेटिंग सिस्टम कई दिक्कतें भी पैदा कर देते हैं. उनके लिए सपोर्ट फोरम भी नहीं मिलता. और फिर माइक्रोसोफ्ट ने कच्ची गोलियां नहीं खेली हैं.
ReplyDeleteइंतजार तो मुझे भी रहेगा इस ओ एस के आने का.
जानकारी देने के लिए शुक्रिया.
देखिए आगे आगे क्या होता है बहरहाल कम्पूटर उपभोक्ताओं के लिए तो फायदा ही फायदा होगा |
ReplyDeleteअब तो लिनक्स में भी विण्डो की कई एप्लीकेशन चलाई जा सकती है में भी उबुन्टू लिनक्स में एडोब फोटोशोप के साथ कई विण्डो एप्लीकेशंस का इस्तेमाल करता हूँ |
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteशेकखावत जी आप लीनक्स में किन-2 विण्डो एप्लीकेशंन्स का प्रयोग करते हैं कृपया नाम बताएं । धन्यवाद....पुण्डीर
ReplyDeleteलीनक्स व माइक्रोसोफ्ट के बीच कृपया भेद (comparison) कीजिए। काौन सा आपरेटिंस सोफ्टवेयर उपयुक्त हैं (होम यूज के लिए)। ...पुण्डीर
ReplyDelete