(लिनक्स पर तीन लेखों की कड़ी में यह तीसरा व अंतिम लेख है) | ||
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एक भ्रांति जो आमतौर पर देखने में आती है वह ये है कि लिनक्स में लिखी फ़ाइलें विंडोज़ में नहीं खुलतीं. सबसे पहले तो यह जान लें कि जैसे विंडोज़ में नहीं बल्कि वर्डप्रोसेसर एम.एस.वर्ड या वर्डप्रो वगैहरा में फ़ाइलें लिखी जाती हैं ठीक उसी तरह लिनक्स में भी फ़ाइलें नहीं लिखी जातीं बल्कि इसमें भी विभिन्न वर्ड प्रोसेसर प्रयुक्त होते हैं. और यही वर्डप्रोसेसर फ़ाइलें लिखने व पढ़ने के लिए प्रयोग होते हैं. इसलिए फ़ाइलों का खुलना-न-खुलना वर्ड प्रोसेसर पर निर्भर करता है. | ||
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एक महत्वपूर्ण बात यदि समझ ली जाए तो बहुत सुविधा होगी और वह ये है कि विंडोज़ के प्रोग्राम जान-बूझकर यह विकल्प नहीं देते कि आप वे फ़ाइलें लिनक्स प्रोग्रामों में खोल सकें क्योंकि विंडोज़, लिनक्स को अपना प्रतिद्वंदि मानता है. जबकि लिनक्स का उद्देश्य विंडोज़ को पछाड़ना है इसलिए लिनक्स के प्रोग्राम आपको विकल्प देते हैं कि आप चाहें तो .doc आदि एक्सटेंशन के साथ फ़ाइलें सेव कर विंडोज़ के प्रोग्रामों में खोल कर काम कर सकें. | ||
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मतलब ये कि विंडोज़ प्रोग्रामों की फ़ाइलों पर आप लिनक्स में भी काम कर सकते हैं. यानि विंडोज़ आपको भले ही अपने ही प्रोग्रामों का ग़ुलाम बना कर रखना चाहता हो, लिनक्स आपको विंडोज़ से तो आज़ादी देता ही है गर आप चाहें तो उन्हीं फ़ाइलों पर विंडोज़ वातावरण में भी काम कर सकते हैं. | ||
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इतना ही नहीं, भले ही विंडोज़ के एम.एस.वर्ड जैसे प्रोग्राम लिनक्स में न चलते हों पर abiword, ओपन आफ़िस जैसे प्रोग्राम लिनक्स में तो चलते ही हैं, इन्हें आप विंडोज़ में भी इन्सटाल कर सकते हैं और इनपर बनाई गई फ़ाइलें दोनों ही वातावरण में चल सकती हैं बस आपको फ़ाइल सेव करते समय फ़ार्मेट का ध्यान रखना होगा. |
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