18 मई 2010 को वेद कुरआन ब्लाग पर मेरे नाम से एक टिप्पणी किसी ने की थी. मुझे भी हैरानी हुई थी. पर फ़र्क़ ये था कि वहां न तो मेरा चित्र था न ही मेरा नाम उस तरह से लिखा था जैसा मैं लिखता हूं. टिप्पणी का लिंक मेरे ब्लाग की ही एक पोस्ट इंगित कर रहा था.
ऐसे में, इसका एक ही इलाज है जो ब्लागर- सेवा प्रदाता की ज़िम्मेदारी भी बनती है कि जैसे ई मेल आई.डी. केवल एक ही हो सकती है उसी तरह केवल एक ही नाम (चाहे ब्लाग का या, ब्लागर का) सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन के लिए स्वीकृत करे. अन्यथा जब तक यह बाधित नहीं किया जाएगा, यह तो होता ही रहेगा.
आमतौर से, ज़्यादा से ज़्यादा IP एड्रैस ढूंढा जा सकता है पर आम ब्लागर न तो इसे ब्लाक कर सकता है (जैसे कि ई मेल में स्पैम ब्लाकर होता है) और न ही मुफ़्त के कानूनी पचड़े में पड़ना पसंद करता है. और सबसे बड़ी बात, शिकायत में ब्लागर लिखेगा भी क्या कि उसे क्या नुक़्सान हुआ ... भारत में हत्यारों को तो सज़ा मिलती नहीं फ़र्ज़ी टिप्पणियों के लिए किसके पास इतना समय, पैसा और धैर्य है !
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शुक्रिया !
ReplyDeleteअरे आप लोग जब तक अनामी टिपण्णी Anonymous के कालम को बन्द नही करेगे तब तक यही समस्या रहेगी, फ़िर आप खुद देख ले केसे कोई आप ने नाम से टिपण्णी देता है....
ReplyDeleteआप यहां अपने टिपण्णी बक्स मै जाये ओर इस " Name/URL के आगे चिन्ह लगाये, फ़िर उस मै जिस का चाहे नाम भरे, उस के ब्लांग का पता दे, ओर टिपण्णी लिखे फ़िर ऒ के दब दे, बस उस के नाम से हो गई टिपण्णी, लेकिन पहचानने वाले इस नकली टिपण्णी को पहचान जाते है, इस लिये आप अपने टिपण्णि बक्स से Anonymous को हटा दे. इस का यही इलाज है
बात चिंताजनक है. अकाउंट हैक करके हिन्दी में टिप्पणी भी की गयी है इससे लगता है की हैक करने का उद्देश्य भी नाइजीरिया आदि में बैठे आर्थिक अपराधियों वाला न होकर छवि मलिन करने भर का हो सकता है. व्यावसायिक हैकरों को हैक्ड अकाउंट से टिप्पणी करने की फुर्सत कहाँ होगी? क्या भारतीय साइबर कानूनों में इससे बचने के प्रावधान हैं - यदि हैं तो उनका उपयोग कैसे किया जाए? हो सके तो इस बात पर प्रकाश डालिए.
ReplyDeleteअरे! ऎसा भी होता है!
ReplyDeletenice
ReplyDeleteबिलकुल सही !
ReplyDeleteआभार ।
सही लिखा।आभार।
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