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क्या आपको पता है कि आपके मोबाइल फ़ोन के दिन चुकने ही वाले हैं. अब जो फोन आयेंगे वे या तो टच-स्क्रीन वाले होंगे या उनके की-बोर्ड, टाइप राईटर के की-बोर्ड जैसे होंगे जिन्हें QWERTY की-बोर्ड कहा जाता है. यानि, आजकल बहुप्रचलित एबीसी के क्रम में टाइप करने वाले मोबाइल फोन का ज़माना गया ही समझो. ये जानने के लिए कि इन्हें QWERTY की-बोर्ड क्यों कहा जाता है, आप अपने कंप्यूटर के की-बोर्ड को देखिये. गिनती टाइप करने वाले बटनों के ठीक नीचे वाली लाइन में जो बटन हैं वे इसी क्रम में हैं.
अमरीका के लास वेगास में चल रहे व्यापर मेले में इस बार एक भी ऐसा नया मोबाइल फोन पेश नहीं किया गया जो प्रचलित मॉडल जैसा हो. भारत में भले ही ज्यादातर लोगों का अंग्रेजी की-बोर्ड से कुछ भी लेना देना न हो, ये माना जाता है की लोग QWERTY की-बोर्ड को अधिल सुगम मानते हैं. ये बात भी दीगर है कि इन मोबाइल फोन का की-बोर्ड इतना छोटा होता है कि आप आम की--बोर्ड की तरह तो इसका प्रयोग यूं भी नहीं कर सकते.
QWERTY की-बोर्ड और टच-स्क्रीन पर अधिक ध्यान देने का कारण कम्पनियाँ ये बताती हैं कि मोबाइल पर टेक्स्ट मेसेज और इन्टरनेट का बढ़ता प्रयोग इसकी मुख्य वजह हैं. मोबाइल कम्पनियों ने पाया कि लोगों ने मोबाइल फोन का प्रयोग टेक्स्ट मेसेज के लिए, बात करने की अपेक्षा कई गुना ज्यादा किया.
इसी मेले में, सैमसंग कम्पनी दुनिया का पहला OLED (organic light-emitting diodes) फोन भी लेकर आ रही है. अभी तक आपने LED या प्लाज़्मा स्क्रीन वाले फोन ही देखे होंगे. OLED, डाईओड का लेप यदि आप किसी भी सतह पर कर दें तो उसे स्क्रीन की तरह प्रयोग किया जा सकता, ज़रुरत केवल उन डाईओड तक बिजली से सिग्नल पहुंचाने की होती है, OLED लगभग डेढ़ दशक पुरानी खोज है किन्तु इसका व्यावसायिक प्रयोग बड़े पैमाने पर होना अभी शेष है. ये डाईओड क्योंकि अपने ही रौशनी उत्पन्न करते हैं इसलिए, ऐसे मोबाइल फोन की बैट्री लाइफ बढ़ जाती है. OLED की तस्वीर भी कहीं बेहतर गुणवत्ता वाली होती है.
यह जल्दी कितनी जल्दी होगी।
ReplyDeleteजब नोकिया जैसी कंपनियों अपना सारा पुराना माल, भारत जैसे देशों को टिका देंगी... तो उसके बाद उन्हें नया माल भी यहाँ मजबूरी में उतरना ही होगा. क्योंकि वर्तमान में, हमारे यहाँ प्रचलित मोबाइल फ़ोन मोडल्स का उत्पादन नहीं किया जा रहा है.
ReplyDeleteबहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत को बहुत समय से कूड़ाघर बना रखा है। इस प्रवृत्ति से निजात पाने के लिये हमें ही कुछ करना होगा। कोई भारतीय किसी बढ़िया मोबाइल का आविष्कार क्यों नहीं करता?
ReplyDeleteभई मेरे मोबाईल में तो qwerty की पैड, टच स्क्रीन तो है ही साथ ही साथ ऑप्टिकल फ़िंगर माउस भी है।
ReplyDeleteकम से कम आने वाले कुछ समय तो मुझे नया हैंडसेट नहीं खरीदना पडेगा।
देखिये, ये है मेरा खिलौना