Wednesday, April 15, 2009

कहीं ये भारत तो नहीं ?

मुझे इ-मेल से कुछ चित्र मिले जो एक कहानी कहते हैं. सवाल ये है कि आखिर ये कहानी किसकी है ? क्या भारत की अर्थव्यवस्था की ?











क्या इसके बाद भी कुछ और कहने को बचा है ?

5 comments:

  1. haa haa haa....
    kaafi pahale dekha thaa yeh mail.

    hamaare yahaan kaafi jagah par fit baithata hai.

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  2. अब तो कुछ भी नहीं बचा।

    यदि आपके लिए सम्‍भव हो औक्‍र आप उचित समझें तो कृपया अपने ब्‍लॉग से 'वर्ड वेरीफिकेशन' का प्रावधान अविलम्‍ब हटा लें।

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  3. डूबते को डुबोने वाले का सहारा !

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