Monday, November 26, 2012

इ-बुक रीडर के बारे में जानि‍ए


    इ-बुक रीडर को इ-रीडर के नाम से भी जाना जाता है. ‘इ’ का मतलब यहां ‘इलेक्‍ट्रॉनि‍क’ है. सबसे पहले यह जान लीजि‍ए कि इ-बुक रीडर आम टैबलेट से कैसे भि‍न्‍न है. टैबलेट जहां मूलत: इंटरनेट ब्राउज़िंग के उद्देश्‍य से बनाए जाते हैं वहीं दूसरी ओर इ-बुक रीडर का मुख्‍य उद्देश्‍य कि‍ताबें पढ़ने के लि‍ए बनाया जाना रहता है. इ-बुक रीडर पर पढ़ने से ऑंखों पर ज़ोर नही पड़ता जबकि‍ टैबलेट पर पढ़ने से कुछ समय बाद ऑंखें थकने लगती हैं. इ-बुक रीडर में आप फॉंट का साइज़ घटा बढ़ा सकते हैं और यह स्‍क्रीन के साइज़ में अपने आप फ़ि‍ट हो जाता है. टैबलेट का स्‍क्रीन LCD स्‍क्रीन होता है. जबकि‍ इ-बुक रीडर के  स्‍क्रीन में eInk या ePaper तकनीक का प्रयोग होता है. eInk/ ePaper में स्‍क्रीन एकदम आम काग़ज़ जैसा ही दि‍खाई देता है. इ-बुक रीडर, टैबलेट की तुलना में आधे वज़न के या उससे भी कम वज़न के होते हैं और ये टैबलेट से पतले भी होते हैं.आम टैबलेट की बैटरी जहां आमतौर से 6-7 घंटे ही चलती है, इ-बुक रीडर को आमतौर से 2 से 4 हफ़्ते में एक बार ही चार्ज करना पड़ता है. अभी जो इ-बुक रीडर बाज़ार में हैं वे मल्‍टीटच स्‍क्रीन वाले नहीं हैं. वे आमतौर से बटनों से ही चलते हैं या बहुत हुआ तो स्‍टाइलस से. इनमें अभी भी रेसि‍स्‍टि‍व स्‍क्रीन का ही प्रयोग होता है न कि कपेस्‍टि‍व स्‍क्रीन का. कपेस्‍टि‍व स्‍क्रीन, रेसि‍स्‍टि‍व स्‍क्रीन से कहीं बेहतर होते हैं. आमतौर से ये 5 से 7 इंच के स्‍क्रीन-साइज़ में आते हैं पर 9.7 इंच के भी बाज़ार में अब आने लगे हैं.

    अभी इ-बुक रीडर ब्‍लैक एंड व्हाइट ही हैं, पहला रंगीन इ-बुक रीडर साल-दो साल पहले ही जारी हुआ है. फ़ुजि‍त्‍सू और ऐक्‍टाको इस क्षेत्र में बड़े नाम हैं. लेकि‍न रंगीन इ-बुक रीडर की कीमत अधि‍क होने के कारण अभी बहुत सुलभ नहीं हैं. लेकि‍न इस रंगीन तकनीक पर बहुत तेज़ी से काम चल रहा है, आशा करनी चाहि‍ए कि‍ 2013 में कई नए नि‍र्माता आधुनि‍क रंगीन इ-बुक रीडर लेकर बाज़ार में आएंगे और इनकी क़ीमत भी गि‍रेगी. टैबलेट में रंग कृत्रि‍म रूप से चटख दि‍खाई देते हैं जबकि‍ रंगीन इ-बुक रीडर में, अपने प्राकृतिक रंगों में होने के कारण सामग्री कुछ कम चमकीली दि‍खाई देती है.

    आपने किंडल, अमेज़न, नुक और बार्न्स एंड नोबल जैसे कई नाम इ-बुक रीडर के संदर्भ में सुने होंगे. आप यह भी जान लीजि‍ए कि‍ यदि आप इनमें से कोई भी इ-बुक रीडर लेते हैं तो इसमें कुछ तो कि‍ताबें मुफ़्त में पहले से ही लोड मि‍लेंगी और कुछ अन्‍य आप लोड कर सकेंगे लेकि‍न उसी कंपनी की वेबसाइट से, जि‍सका इ-बुक रीडर आप लेते हैं. कंपनी की साइट पर दो प्रकार की पुस्‍तकें उपलब्‍ध रहती हैं एक, वे जो मुफ़्त होती हैं दूसरी, वे जि‍नके लि‍ए आपको ऑनलाइन भुगतान करना होगा. इ-बुक रीडर  के लि‍ए कई दूसरे फ़ार्मेट के साथ साथ मुख्‍यत: .epub (इलेक्‍ट्रॉनि‍क पब्‍लि‍केशन) फ़ार्मेट प्रयुक्त होता है. हिंदी या दूसरी भारतीय भाषाओं के लि‍ए कुछ सीमाएं हैं क्‍योंकि अभी यह .epub में उपलब्‍ध नहीं हैं या फि‍र न होने के बराबर ही उपलब्‍ध हैं. भारतीय भाषाओं की पुस्‍तकें आमतौर से .pdf/.doc जैसे फ़ार्मेट में ही उपलब्‍ध हैं. .doc के लि‍ए इन इ-बुक रीडर में हिंदी फ़ाँट उपलब्‍ध हों, यह ज़रूरी नहीं. इन इ-बुक रीडर  में मनचाहे सॉफ़्टवेयर लोड करने की सुवि‍धा नहीं होती, न ही आप इनमें डाउनलोड कि‍ताबें कॉपी कर सकते हैं और न ही दूसरे स्रोतों से इन इ-बुक रीडर में कॉपी कर सकते हैं. बस यूं समझ लीजि‍ए कि‍ आप एक ऐसे घर के अंदर हैं जि‍स पर बाहर से ताला लगा है और उस ताले की चाभी कि‍सी और के पास है. इसी के चलते दूसरी स्‍वतंत्र कंपनि‍यों के इ-बुक रीडर काफ़ी प्रचलि‍त हो रहे हैं जि‍नमें/जि‍नसे आप अपनी मर्ज़ी के अनुसार कुछ भी कॉपी कर सकें.
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-काजल कुमार

Saturday, October 27, 2012

‘सरफ़ेस’, ‘वि‍न्डोज़ 8’ और ‘वि‍न्डोज़ RT’ के बारे में जानि‍ए.


26 अक्‍टूबर, 2012 को माइक्रोसॉफ़्ट ने दो काम कि‍ए एक, इसने नया ऑपरेटिंग सि‍स्‍टम ‘वि‍न्‍डोज़ 8’ जारी कि‍या दूसरे, ‘सरफ़ेस’ नामक टैबलेट की बि‍क्री शुरू की.

‘वि‍न्‍डोज़ 8’ पहला ऑपरेटिंग सि‍स्‍टम है जो डैस्‍कटॉप/लैपटॉप और मोबाइल/टैबलेट पर समान रूप से चल सकेगा. वर्ना अभी तक डैस्‍कटॉप और मोबाइल/टैबलेट के लि‍ए अलग अलग ऑपरेटिंग सि‍स्‍टम ही बनाए जाते रहे हैं. लेकि‍न, इसका मतलब ये भी है कि‍ डैस्‍कटॉप/लैपटॉप के लि‍ए इन्सटॉल कि‍या जाने वाला संस्‍करण, मोबाइल/टैबलेट वाले संस्‍करण से, नि‍श्‍चय ही, कहीं अधि‍क स्‍पेस खाने वाला होगा. या कहें कि‍ मोबाइल/टैबलेट संस्‍क्‍रण इसका स्‍ट्रि‍प डाउन संस्‍करण होगा. दूसरे शब्‍दों में, इ‍सका मतलब ये भी है कि‍ मोबाइल/टैबलेट वाले संस्‍करण में वे सभी काम, अभी भी, ठीक वैसे ही नहीं कि‍ए जा सकेंगे जैसे डैस्‍कटॉप/लैपटॉप वाले संस्‍करण में संभव होगा. इसे टच और पारंपरि‍क कीबोर्ड/माउस दोनों ही तरीकों से प्रयोग कि‍या जा सकेगा.

इस प्रकार, यह इस दि‍शा में नई पहल है. ये भी संभव है कि‍ अब डैस्‍कटॉप/लैपटॉप पर प्रयोग कि‍ए जाने वाले तमाम सॉफ़्टवेयर के अलग संस्‍करण, मोबाइल/टैबलेट के लि‍ए भी बनाए जाने लगें, ठीक वैसे ही जैसे .doc, .pdf इत्‍यादि‍ के लि‍ए पहले ही यह उपलब्‍ध हैं. डैस्कटॉप पर चलने वाले कई सॉफ़्टवेयरों के स्‍ट्रि‍प डाउन संस्‍करण माइक्रोसॉफ़्ट ने पहले से ही अपनी साइट पर होस्‍ट कर दि‍ये हैं, इसीलि‍ए बताया जा रहा है कि‍ ‘वि‍न्‍डोज़RT’ वाले मोबाइल/टैबलेट वालों को ये वहीं से डाउनलोड करने होंगे.

‘सरफ़ेस’ इस क्षेत्र में एक क्रांति‍कारी पहल साबि‍त होनी चाहि‍ए. कारण:- यह एक पतला टैबलेट है जि‍स पर दो तरह के physical keyboard बि‍ना तारों के अटैच हो सकते हैं; एक, आम कीबोर्ड जैसा तो दूसरा टचकीबोर्ड जैसा, और ये दोनों ही कीबोर्ड भी बहुत पतले हैं जो कि‍ इस टैबलेट के कवर का काम भी करते हैं, डैस्‍कटॉप/लैपटॉप जैसी कंप्‍यूटिंग क्षमताओं के चलते यह अपनी तरह का पहला टैबलेट है. माइक्रोसॉफ़्ट का कहना है कि‍ वह इसपर चलने में सक्षम, डैस्‍कटॉप/लैपटॉप पर चलने वाले अन्‍य सॉफ़्टवेयर भी उपलब्‍ध करवाएगा.

हालांकि‍ ‘आसुस’ का ट्रांसफ़ार्मर भी इसी श्रेणी में आया था पर वह नहीं चला क्‍योंकि‍ वह न तो आकर्षक था और न ही ‘सरफ़ेस’ जि‍तना पतला, बल्‍कि‍ वह thuddy दि‍खता है. ‘सरफ़ेस’ वि‍न्‍डोज़ 8 पर नहीं बल्‍कि‍ ‘वि‍न्‍डोज़RT’ ऑपरेटिंग सि‍स्‍टम पर चलता है जि‍से आप ‘वि‍न्‍डोज़ 8’ का स्‍ट्रि‍प डाउन संस्‍करण भी कह सकते हैं.

भारत में ‘सरफ़ेस’ अभी ebay.in पर ही उपलब्‍ध है और कीमत भी काफी ज़्यादा है. इसलि‍ए अभी प्रतीक्षा करना बेतहर होगा क्‍योंकि‍ जहां एक ओर, आने वाले समय में, माइक्रोसॉफ़्ट इसकी कीमत कम करेगा ही दूसरी ओर, अन्‍य नि‍र्माताओं के बहुत से वि‍कल्‍प भी जल्‍दी ही बाज़ार में आएंगे.

हार्डवेयर के मामले में माइक्रोसॉफ़्ट की प्रति‍ष्‍ठा नहीं रही है पर यह एक नया रास्‍ता तो खोल ही रहा है जि‍सके कारण बाज़ार में अब नई तरह के उपकरण आने प्रारम्‍भ होंगे.

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-काजल कुमार

Saturday, August 18, 2012

अब अक़्ल आई !



इस अख़बार ने तो धंधा ही बना लि‍या था इस तरह से पहले पेज को काट कर वि‍ज्ञापन देने का. यह दुमकटा सा पन्‍ना इतनी चि‍ढ़ पैदा करता था कि‍ सुबह अख़बार उठाते ही सबसे पहला काम जो मैं करता था वह था इस पन्‍ने को उठाकर अलग फेंकने का.


ज़ाहि‍र है इस पन्‍ने पर सामने छपे वि‍ज्ञापन के अलावा जो भी वि‍ज्ञापन पीछे की ओर छपे रहते थे उनके वि‍ज्ञापकों का पैसा तो गया सीधा पानी में. मेरे जैसे दूसरे पाठक भी उन्‍हें पढ़ना तो दूर, देखने तक की जहमत नहीं ही उठाते होंगे.

ज़रूर यह बात अख़बार तक पहुंची होगी, तभी तो आज का यह पन्‍ना वाक़ायदा बाक़ी अख़बार के साथ चि‍पका कर भेजा गया है.

समाज में टाई वाली एक नई क़ौम ने जन्‍म लि‍या है जि‍से लोग मार्केटिंग वाले एम.बी.ए. के नाम से जानते हैं. ये अपने आप को दूसरे ग्रह से आया हुआ ग़ज़ब का क्रि‍येटि‍व मानते और बताते हैं. इनका धंधा बस इतना सा है कि‍ लालाओं को अंग्रेज़ी में कुछ भी नया, भले ही कि‍तना ही बाहि‍यात ही क्‍यों न हो, टि‍का दो. और लालची लोग कुछ भी मान लेने को तैयार ही बैठे मि‍लते हैं. इसी जमात की ईजाद है ये ये ऊल-जुलूल अधमुंडे वि‍ज्ञापन का तरीक़ा.

कि‍सी ने भी ये जानने की कोशि‍श नहीं की कि‍ इस तरह से अख़बार को छि‍तरा देने से पढ़ने वाले को कैसा लगता होगा. ख़ैर देर आए दुरूस्‍त आए.
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Saturday, June 23, 2012

टैबलेट ख़रीदने ख़रीदने से पहले जानि‍ए


यदि‍ आप टैबलेट ख़रीदने का मन बना रहे हैं तो आपको कुछ बातें ज़रूर जान लेनी चाहि‍ए जैसे,

1              टैबलेट टाइप करने के लि‍ए उपयुक्‍त नहीं होते. इसलि‍ए इनसे  लैपटॉप/डैस्‍कटॉप जैसी टाइपिंग की सुवि‍धा नहीं मि‍लती. टैबलेट पर टाइपिंग का बस छोटा मोटा काम ही कि‍या जा सकता है.

2              7 इंच के कि‍सी भी टैबलेट को कहीं भी ले जाना बहुत आसान है. ये कि‍सी नॉवल जैसी कि‍ताब के साइज़ के होते हैं.  इसमें आप नोटस लि‍ख सकते हैं,  ई-बुक व दूसरे फ़ार्मेट पढ़ सकते हैं, फ़ि‍ल्‍म देख सकते हैं, संगीत सुन सकते हैं,  इंटरनेट सर्फिंग कर सकते हैं और कुछ डाउनलोड भी कर सकते हैं. इंटरनेट के लि‍ए लैपटॉप में आमतौर से डॉंगल लगाए जाते हैं जबकि‍ अधि‍कांश टैबलेट में इसकी ज़रूरत नहीं होती, 3जी सि‍म कार्ड से ही काम चल जाता है.

3              अब 10 इंच के टैबलेट भी आ रहे हैं जो कि‍ मेरी पसंद हैंइन पर कुछ भी पढ़ना, 7 इंच वालों से अधि‍क सुगम है.

4              मैक-एअर / asus transformer भी देखे जा सकते हैं यदि‍ आपका बजट कोई वि‍शेष सीमा न रखता हो. ये दोनों लैपटॉप हैं इसलि‍ए इन दोनों में कीबोर्ड भी हैं. मैक-एअर बहुत हल्‍का है व साइज़ भी ज़्यादा बड़ा नहीं है क्‍योंकि‍ ये दो साइज़ में आता है. Asus transformer में कीबोर्ड अलग कर इसे टैबलेट की तरह भी प्रयोग कि‍या जा सकता है. आने वाले कुछ महीनों में इसी श्रेणी के कई और उत्‍पाद बाज़ार में आने वाले हैं.

5              एक और कैटेगरी नोटबुक/अल्‍ट्राबुक की भी है. ये लैपटॉप से आकार में छोटी हैं व टैबलेट के सभी काम भी करती हैंआप चाहें तो इसे भी ट्राई कर सकते हैं. अल्‍ट्राबुक, नोटबुक के बाद की पीढ़ी से हैं व तकनीकि‍ रूप से कहीं बेहतर हैं.

आजकल 'सैमसंग गैलेक्‍सी नोटभी आ रहा है यह टैबलेट के सभी काम करता है और साथ ही इसे फ़ोन की तरह भी प्रयोग कि‍या जा सकता है. कि‍न्‍तु इसका सक्रीन साइज़ नि‍श्‍चय ही छोटा है.

5              naaptol.com जैसी साइट संबंधि‍त वि‍भिन्‍न जानकारि‍यों के लि‍ए देखी जा सकती हैं. ‍ गेलेक्सी टेबलेट नि‍:संदेह अच्‍छा है. इनके अति‍रि‍क्‍त ऑलि‍व व माइक्रोमेक्‍स भी देखे जा सकते हैं. उनकी साइट ये हैं http://www.olivetelecom.in/laptop/olivepad/  http://micromaxfunbook.com/features.html#featuresयदि‍ आप ख़रीदने से पहले कि‍सी मॉल में जाकर टैवलेट देख सकें तो कहीं बेहतर होगा.

6              अधि‍कांश टैबलेट एंड्रॉयड आधारि‍त हैं इसलि‍ए जांच लें कि‍ इसमें एन्‍ड्रॉयड का नवीनतम संस्‍करण होना चाहि‍ए. लेने से पहले ठीक से ज़रूर जांच लें कि‍ उसपर हि‍न्‍दी साइट देखी जा सकती हैं या नहीं क्‍योंकि‍ कुछ टैबलेट नि‍र्माता इनमें हि‍न्‍दी स्‍पोर्ट करने वाले फ़र्मवेयर नहीं डालते हैंइसका स्‍क्रीन कपैस्‍टि‍व टच स्‍क्रीन होना चाहि‍ए न कि‍ रैसि‍स्‍टि‍व टच स्‍क्रीन. इसे वाई-फ़ाई सपोर्ट करना चाहि‍ए. इसमें मैमोरी कार्ड जोड़ने की सुवि‍धा होनी चाहि‍ए. इसमें इंटरनेट डॉंगल से नहीं बल्‍कि‍ 3जी सि‍म कार्ड से चलना चाहि‍ए. आजकल 1 जी.बी. से कम क्षमता वाले प्रोसेसर फ़ैशन में नहीं हैं.

अब नि‍र्णय आपको करना है.
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Monday, June 11, 2012

मोबाइल फ़ोन ख़रीदने जा रहे हैं ?

आप यदि‍ नया मोबाइल फ़ोन लेना चाह रहे हैं तो आपको समय के साथ चलते हुए स्‍मार्टफ़ोन लेना चाहि‍ए. स्‍मार्टफ़ोन को स्‍मार्टफ़ोन इसीलि‍ए कहते हैं क्‍योंकि‍ यह आम मोबाइल फ़ोन के अलावा भी बहुत से काम कर सकता है.

यूँ तो हज़ारों बातें हैं पर आपको कुछ ज़रूरी बातें ध्‍यान रखनी चाहि‍ए जैसे:-
1.  टच-स्‍क्रीन कैपेस्‍टि‍व हो क्‍योंकि‍ रेसि‍स्‍टिव टच-स्‍क्रीन का ज़माना चला गया और की-पंचिंग वाले फ़ोन का ज़माना तो बि‍ल्‍कुल भी नहीं रहा. कैपेस्‍टि‍व टच-स्‍क्रीन शीशे का होता है जबकि‍ रेसि‍स्‍टिव पर आमतौर से स्‍टाइलस से लि‍खा जाता है, यह शीशे का नहीं होता. रेसि‍स्‍टिव स्‍क्रीन वाले फ़ोन सस्‍ते होते हैं.

2.  बैटरी का mAh, प्रोसेसर, रैम व स्‍क्रीन साइज़ जि‍तना अधि‍क उतना अच्‍छा. 1 जी.बी. प्रोसेसर तो आज होना ही चाहि‍ए जबकि‍ आज इनसे भी आगे ड्यूअल व क्‍वाड प्रोसेसर भी आ रहे हैं.

3. कैमरा भी जि‍तने अधि‍क पि‍क्‍सल का हो वही बढ़ि‍या. अधि‍क पि‍क्‍सल का मतलब है उतनी ही बढ़ि‍या क्‍वालि‍टी की फ़ोटो.

4. माइक्रो एस. डी. कार्ड, 3जी और वाई-फ़ाई स्‍प्‍पोर्ट करे.  माइक्रो एस. डी. कार्ड का मतलब है फ़ोन में अति‍रि‍क्‍त हार्ड-डि‍स्‍क. 3जी से आप मोबाइल पर इंटरनेट प्रयोग कर सकते हैं, यह अब बहुत महँगा भी नहीं है. आजकल कई सार्वजनि‍क स्‍थानों पर वाई-फ़ाई इंटरनेट उपलब्‍ध होने लगा है, यदि‍ आपका फ़ोन वाई-फ़ाई समर्थि‍त है तो आप इसका लाभ उठा सकते हैं.

5. एंड्रॉयड एक मुफ़्त ऑपरेटिंग सि‍स्‍टम है जि‍सके कारण फ़ोन की क़ीमत तो कम हो ही जाती है, आपको कई तरह के दूसरे सॉफ़्टवेयर भी मुफ़्त मि‍लते हैं. एंड्रॉयड गूगल कंपनी का उत्‍पाद है. एंड्रॉयड के कई संस्‍करण बाज़ार में हैं. इसलि‍ए यह ज़रूरी है कि‍ आप नवीनम संस्‍करण वाला फ़ोन ही लें.

6. एंड्रॉयड में अभी हि‍न्‍दी व दूसरी भारतीय भाषाएं नहीं हैं लेकि‍न फ़ोन बनाने वाली कंपनि‍यां इसे हि‍न्‍दी व दूसरी भारतीय भाषाएं पढ़ने-लि‍खने लायक बना देती हैं इसलि‍ए आप जाँच लें कि‍ फ़ोन पर ये भाषाएं पढ़ी जा सकें.

7. और अंत में, इनकी क़ीमत पांच हज़ार से चालीस हज़ार तक हो सकती है इसलि‍ए ख़रीदने से पहले इंटरनेट पर इनके फ़ीचर वा क़ीमतों की तुलना कर लें.
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Saturday, March 31, 2012

अब एन्ड्रॉयड के कि‍सी भी वर्ज़न/फ़ोन पर हि‍न्‍दी समर्थन


 
अब एन्ड्रॉयड मार्कि‍ट ( गूगल प्‍ले स्‍टोर ) पर हि‍न्‍दी के लि‍ए एकमात्र वेब ब्राउज़र Bhasha SETT उपलब्‍ध है. इसमें आप हि‍न्‍दी की कि‍सी भी साइट/ब्‍लाग को पढ़ सकते हैं. यदि‍ इसमें आप फ़ेसबुक खालेंगे तो आप हि‍न्‍दी के कमेंट भी देख सकते हैं, इसमें फ़ेसबुक का इन्‍टरफ़ेस फ़ार्मेट भी अच्‍छा है.

जि‍न एन्ड्रॉयड हैंडसैट में हि‍न्‍दी फ़र्मवेयर नहीं था, उनमें हि‍न्‍दी देखने-पढ़ने के लि‍ए एक मात्र तरीक़ा था मि‍नी ऑपेरा में ब्‍लाग/साइट बि‍टमैप के रूप में पढ़ना. कि‍न्‍तु हि‍न्‍दी में कमेंट फि‍र भी नहीं कि‍या जा सकता था. Bhasha SETT डाउनलोड करने के बाद Multiling का कीबोर्ड भी, टाइप करने के लि‍ए, हि‍न्‍दी दि‍खाने लगता है बस आपको हि‍न्‍दी प्‍लग-इन भी डाउनलोड करना होगा. लेकि‍न इससे टाइप करते समय केवल चौकोर डि‍ब्‍बि‍यां दि‍खती हैं इसलि‍ए एंटर बटन दबाने से पहले आपको शब्‍द कीर्बोड की सबसे ऊपरी लाइन में देखने होंगे. सबसे मज़े की बात ये है कि‍ Bhasha SETT और Multiling दोनों ही भारत में नहीं बल्‍कि‍ दूसरे देशों में तैयार कि‍ए गए हैं.

इसमें अभी जो कमि‍यां हैं वे ये हैं कि‍ 1. यह काफी धीमा है 2. सभी अर्धव्‍यंजन अपने स्‍वाभावि‍क रूप में दि‍खाई न देकर पूर्ण व्‍यंजन के रूप में दि‍खाई देते हैं जि‍नके पांव में हलंत रहता है 3. मुफ़्त संस्‍करण में वि‍ज्ञापन झेलना पड़ता है दूसरा संस्‍करण 5 डॉलर का है.

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-काजल कुमार


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