Sunday, April 5, 2009

यदि आपके पास कंप्यूटर है तो ज़रूर पढें.


आइये आज आपको कंप्यूटर के एक महतवपूर्ण अंग से मिलवाया जाये. कल तक इसके बिना कंप्यूटर की कल्पना करना भी मुश्किल था और आज हालत ये है की इसका प्रयोग नाम मात्र को ही रह गया है. कम से कम, नई पीढ़ी तो इसका प्रयोग नहीं ही कर रही है. और...बीते हुए कल के इस हिस्से का नाम है, या कहें कि था, फ्लोप्पी. एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर तक डाटा ले जाने और, डाटा संभाल कर रखने का ये बहुप्रचलित साधन रहा.

फ्लोप्पी को पहला झटका, सीडी राईटर के आने से लगा. लेकिन फ्लोप्पी फिर भी चलन से बाहर नहीं हुईं. फिर आयी सीडी सेशन खुला रखने की विधि, इसके चलते एक ही साधारण सीडी पर पिछला मिटाए बिना और लिखा जा सकता था. फिर सीडी-आर आईं. इस सीडी पर पूरा मिटा कर दोबारा लिखा जा सकता था. इन सीडी के आने से फ्लोप्पी के जीवन की उलटी गिनती शुरू हो गयी.

तब आई, थम्ब-ड्राइव. जिसे आजकल पेन-ड्राइव के नाम से बेहतर जाना जाता है. फ्लैश तक़निक आधारित इस ड्राइव ने सीडी ड्राइव के ताबूत में आखिरी कील ठोक दी. आज की नयी पीढी ने अगर फ्लोप्पी ड्राइव न देखी हो तो मुझे आश्चर्य नहीं, क्योंकि नए आ रहे कंप्यूटर में अब फलोप्पी ड्राइव लगाई ही नहीं जा रही है. शुरू-शुरू में हार्ड डिस्क के अलावा एक बड़ी फलोप्पी की ड्राइव होती थी. फिर दो फ्लोप्पी ड्राइव आने लगीं, एक बड़ी और एक छोटी फलोप्पी के लिए, ताकि एक फलोप्पी से दूसरी में बिना हार्ड डिस्क के, कॉपी किया जा सके. इसके बाद कुछ समय तक तो छोटी ड्राइव लगाई जातीं रहीं. और फिर धीरे धीरे ये भी गुम हो गयीं.

यूं तो फलोप्पी समय-समय पर अलग-अलग आकर और क्षमता में आती रहीं लेकिन, मोटे तौर पर ये पांच आकारों में आयीं, जैसा कि ऊपर के चित्र में दिखाया गया है. इन सभी फलोप्पी की क्षमता इनके आकार के हिसाब से बदलती रही.
(1) सबसे पहले प्रयोग में आने वाली फलोप्पी 8 इंच आकर की थी और इसकी लोकप्रिय क्षमता 1.5 MB थी. ये फलोप्पी, 1970 के आसपास प्रयोग में आई.
(2) फिर आई, 5.25 इंच आकर की फलोप्पी इसकी क्षमता 110 KB से लेकर 100 MB तक रही.
(3) इसके बाद 3.5 इंच की फलोप्पी आई और इसकी क्षमता 1.44 MB से 200 MB तक रही.
(4) 3 इंच फलोप्पी 128 KB से 720 KB तक और,
(5) 2 इंच आकर वाली फलोप्पी भी आयीं.
इन सभी को इनकी क्षमता के आधार पर अलग-अलग नामों से भी जाना जाता था, जैसा कि ऊपर के चित्र में दिखाया गया है.

8 इंच फलोप्पी का ज़माना वो था, जब कंप्यूटर आम लोगों की पहुँच से बाहर थे. 3 इंच और 2 इंच फलोप्पी बहुत कम चलन में आयीं. जबकि 5.25 इंच और 3.5 इंच फलोप्पी सर्वाधिक चलन में रहीं. ज़ाहिर है, कि इनके लिए कंप्यूटर में ड्राइव भी अलग-अलग आकर की ही लगाई जाती थीं. यह वो समय था जब कंप्यूटर के क्षेत्र में मानकीकरण जैसी कोई चीज़ नहीं थी. बल्कि HP सरीखी कुछ कम्पनियाँ तो जानबूझ कर आपने उत्पाद सबसे अलग बना रही थीं. ताकि ग्राहक किसी और उत्पादक के हिस्से पुर्जे न लगा सके. यही मानसिकता माइक्रोसॉफ्ट की है, सॉफ्टवेर के क्षेत्र में. आगे आगे देखिये होता है क्या.

4 comments:

  1. baat to aapne sahi hi kahi hai. mujhe to lagta hai net ke upyog ke karan computer ke aur bahut se upyog kum ho gaye hain.

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  2. ऐसे ही अच्छी अच्छी जानकारी देते रहिए काजल भाई।

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  3. ऐसा लगा जैसे कंप्युटर के पुरातत्व को बांच रहे हैं. आभार.

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  4. हमने तिन इंच वाली इस्तेमाल की थी कभी ..अब भी कहीं पड़ी होगी अलमारी के किसी कोने में

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