Saturday, August 18, 2012

अब अक़्ल आई !



इस अख़बार ने तो धंधा ही बना लि‍या था इस तरह से पहले पेज को काट कर वि‍ज्ञापन देने का. यह दुमकटा सा पन्‍ना इतनी चि‍ढ़ पैदा करता था कि‍ सुबह अख़बार उठाते ही सबसे पहला काम जो मैं करता था वह था इस पन्‍ने को उठाकर अलग फेंकने का.


ज़ाहि‍र है इस पन्‍ने पर सामने छपे वि‍ज्ञापन के अलावा जो भी वि‍ज्ञापन पीछे की ओर छपे रहते थे उनके वि‍ज्ञापकों का पैसा तो गया सीधा पानी में. मेरे जैसे दूसरे पाठक भी उन्‍हें पढ़ना तो दूर, देखने तक की जहमत नहीं ही उठाते होंगे.

ज़रूर यह बात अख़बार तक पहुंची होगी, तभी तो आज का यह पन्‍ना वाक़ायदा बाक़ी अख़बार के साथ चि‍पका कर भेजा गया है.

समाज में टाई वाली एक नई क़ौम ने जन्‍म लि‍या है जि‍से लोग मार्केटिंग वाले एम.बी.ए. के नाम से जानते हैं. ये अपने आप को दूसरे ग्रह से आया हुआ ग़ज़ब का क्रि‍येटि‍व मानते और बताते हैं. इनका धंधा बस इतना सा है कि‍ लालाओं को अंग्रेज़ी में कुछ भी नया, भले ही कि‍तना ही बाहि‍यात ही क्‍यों न हो, टि‍का दो. और लालची लोग कुछ भी मान लेने को तैयार ही बैठे मि‍लते हैं. इसी जमात की ईजाद है ये ये ऊल-जुलूल अधमुंडे वि‍ज्ञापन का तरीक़ा.

कि‍सी ने भी ये जानने की कोशि‍श नहीं की कि‍ इस तरह से अख़बार को छि‍तरा देने से पढ़ने वाले को कैसा लगता होगा. ख़ैर देर आए दुरूस्‍त आए.
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5 comments:

  1. अख़बारवाले अपने असली ग्राहक पहचानते हैं और उनके सरोकार भी उन्हीं से हैं ।

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  2. बजा फरमाया।

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  3. टनों कागज बरबाद होता है, और समय भी..

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  4. दुमकटा विज्ञापन... हाहाहा..
    भयंकर चिढ़ होती थी इन्हें देखकर...

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