Wednesday, June 24, 2009

अपना डोमेन नेम ? न रे बाबा न…

अपना डोमेन नेम खरीदने के पक्ष में मैंने बहुत से कारण पढ़े. लेकिन जो सबसे महत्वपूर्ण कारण मुझे समझ आया है, वह है काफी छोटा वेब-पता रखने की इच्छा. सवाल ये है कि बस इतनी सी बात के लिए आखिर अपना डोमेन नेम क्यों खरीदा जाए. मसलन मेरे ब्लाग का पूरा पता है - http://kajalkumarcartoons.blogspot.com जबकि ब्राउज़र में मात्र kajal.tk लिखने भर से भी मेरे ब्लाग पर पहुंचा जा सकता है. ऐसे में, पहले तो पैसे देकर अपना डोमेन नेम खरीदना और फिर हर साल उसे रिन्यू करवाते रहने का टन्टा…(?) आखिर ये पाला ही क्यों जाए. यह तो मुझे यूं लगता है मानो दूध-अख़बार-भाजी-प्रेस वाले की तरह एक डोमेन-नेम वाला भी बांध लिया.

कई साल पहले, शुरू-शुरू में जब केवल geocities और googlepages जैसी साइटस ने मुफ्त वेबपेज बनाने की सुविधा देनी शुरू की थी तो मैंने कार्टून पोस्ट करने के लिए वेबपेज http://kajalkumarcartoons.googlepages.com/ बनाया था, जिसे मैंने कुछ समय बाद रिडायरेक्शनल सेवा dot.tk का प्रयोग कर kajalkumar.tk कर दिया. इसे किये भी अब कई साल होने को आए, मुझे आजतक किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा. अब ऐसे में, मेरा डोमेन नेम kajal.tk रहे या kajal.in क्या फ़र्क़ पड़ता है, कौन सी मूंछ नीची हुई जा रही है. न हींग लगी न फिटकरी और रंग भी टनाटन. यहां, http://tips-hindi.blogspot.com/2009/01/shorten-url.html (आशीष खण्डेलवाल) पोस्ट देख सकते हैं जिसमें इस सुविधा को विस्तार से बताया गया है.

इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि जहां डोमेन नेम खरीदने के अपने फ़ायदे हैं वहीं दूसरी ओर पब्लिक सर्वर व इसी तरह की अन्य सेवाओं की अपनी सीमाएं हैं. मेरा मानना है कि यदि आपका काम बिना अपना डोमेन नेम खरीदे चल रहा है तो अपना डोमेन नेम क्यों ? और जहां तक बात ब्लागिंग की है, ज्यादातर नियमित पाठक फ़ीड से पढ़ते हैं और फ़ीड के माध्यम से पढ़ने का चलन बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में आपके ब्लाग-पते का महत्व ही समाप्त हो जाता है क्योंकि एक बार फ़ीड, रीडर में जुड़ गई तो इसका काम ख़त्म, फिर फ़ीड में जोड़ा जाने वाला नाम भले ही कितना ही लंबा क्यों न रहा हो.

आजकल का ये डोमेन-नेम बेच कर उससे पलने का धंधा मुझे उन दिनों की याद दिलाता है जब भारत में केवल VSNL ही इंटरनेट सर्विस प्रदाता था. उस समय वो 3000 रुपये के कनेक्शन के साथ, छटांक भर का एक इ-मेल अकांउट देता था. आज बच्चे ये सुनकर हंसते हैं कि हम लोग कुछ MB के अकांउट के लिए यूं लुटा करते थे. कुछ समय पहले तक यही डोमेन नेम कई-कई हज़ार में बिका करते थे जो आज महज़ कुछ सौ रुपयों तक पहुंच गए हैं. ये भी ध्याद देने की बात है कि डोमेन-नेम बेचने वाले franchise की नज़र इस बात पर भी होती है कि आप उसके रेगूलर ग्राहक बनने वाले हैं जो गाहे-बगाहे कुछ न कुछ कमाई कराने वाला काम लेकर उसके पास चला ही रहेगा.

डोमेन नेम खरीदना तो पहले के दिनों में शेयर ख़रीदने-बेचने जैसी प्रकिया लगता है जिसमें ये सब करना पड़ता था कि फ़ार्म लाओ, भरो, चैक भी भरो, भेजो, फिर ख़रीद/फ़रोख्त/अलाटमेंट का पीछा करो, फाइलें संभालो, बोनस और डिविडेंड का हिसाब रखो, बैंक और खाता चैक करते रहो, कंपनियों से रजिस्टर्ड चिट्ठी-प़त्री जारी रखो…एक छोटी सी जान और हज़ार लफ़डे़, कइयों की तो पूरी की पूरी बेचारी ज़िंदगी इसी में निकल जाती थी. दूसरी ओर, डोमेन नेम न खरीदना मानो ऐसा कि आपने एक ढंग के बैंक में डी-मैट अकांउट खोल लिया और चलते बने. बाकी, बैंक और कंपनियां आपस में भुगतते रहेंगे. आप तो, जब जी चाहा नेट खोला और डंडा बजा आए.

आज, आप अपना वेबपेज / ब्लाग अपनी मर्ज़ीं और अपनी सहूलियत के हिसाब से चलाना चाहते हैं क्योंकि इंटरनेट पर टेंपलेट से लेकर तरह-तरह के उपकरण / औजार / जानकारी मुफ्त उपलब्ध हैं. जब आप अपने पैरों भागने –दौड़ने में सक्षम हैं तो बैसाखियां क्यों ?

0--------------0

Monday, June 22, 2009

हिन्दी ब्लाग पर Google AdSense विज्ञापन कैसे लगाएँ

गूगल, Google AdSense फिलहाल हिन्दी ब्लागों पर अपने विज्ञापन दिखाने की सुविधा नहीं देता लेकिन आप फिर भी, चाहें तो, अपने हिन्दी ब्लागों पर AdSense विज्ञापन दिखा सकते हैं. आइए पहले, ये जान लें कि Google AdSense के कम्पयूटर हिन्दी ब्लागों को पहचानते कैसे हैं.

गूगल किसी भी ब्लाग को उसमें ब्लाग निर्माता द्वारा दी गई जानकारी से ही पहचानता है. यह जानकारी ब्लाग की settings में ब्लाग बनाते समय दर्ज की जाती है. इसमें बदलाव करने के लिए अपने ब्लाग में sign in करें. sign in करने से पहले sign in के ठीक उपर की विन्डो में Language को ड्राप डाउन मीनू में से चुन कर English कर दें. अगली विंडो में भी ऐसा ही करें. फिर settings पर कि्लक करें.

Settings से Basic पर जाएँ और Enable transliteration को ड्राप डाउन मीनू में से चुन कर disable कर दें (Settings > Basic > Enable transliteration?). बदलाव को सहेज लें.

अब Settings से Formatting पर जाएँ और Language को ड्राप डाउन मीनू में से चुन कर English कर दें (Settings > Formatting > Language). इस बदलाव को भी सहेज लें.

अब आपका ब्लाग AdSense विज्ञापन अंग्रेजी में दिखाने को तैयार है. Monetize बटन दबायें और निर्देशों का पालन कर अपना एडसेंस खाता स्थापित करें. कुछ समय बाद ही एडसेंस विज्ञापन आपके ब्लाग पर दिखने लगेंगे. अपने ब्लाग के लेआउट में जाकर, आप इन्हें अपने ब्लाग के अनुसार आकार बदल कर, अपनी मनपसंद जगह पर लगा सकते हैं.

प्रारम्भ में केवल Public Service संदेश दिखाई देंगे. किन्तु, दूसरे विज्ञापन दिखाई दें इसके लिए आपको आगामी पोस्ट और पोस्ट के शीर्षकों में एक-आध अंग्रेजी शब्द डालते रहना होगा क्योंकि गूगल के कम्पयूटर केवल अंग्रेजी शब्द ढूंढ कर उनसे मिलते जुलते विज्ञापन ब्लाग पर दिखाते हैं.

सवाल AdSense विज्ञापनों से कमाई का नहीं है बल्कि सवाल ये है कि क्या हिन्दी ब्लाग पढ़ने वाले इतनी अंग्रेजी भी नहीं जानते कि गूगल के विज्ञापन पढ़ और समझ सकें ? जब तक गूगल को भारतीय बाज़ार के विस्तार की बात समझ नहीं आती, तब तक ये विज्ञापन इसी रास्ते से दिखाने होंगे.

0--------0

LinkWithin

Blog Widget by LinkWithin