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Sunday, September 11, 2011
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Thursday, June 9, 2011
आज मारूति की क्लास हो ही जाए !
(चित्र साभार गूगल)
मारूति की सबसे बड़ी कमज़ोरी जहां एक तरफ इसकी कारों की लुक (appearance) है वहीं दूसरी तरफ इनकी fragility है. लगता है कि मारूति का मूल मंत्र एक ही रहा है कि भारत में केवल सस्ती कारें ही बिक सकती हैं, हो सकता है कि कंपनी अपनी इस सोच में कभी सही भी रहे हो पर इतना भी क्या कि कार की कीमत घटाए रखने के लिए कार के डिजाइन तक पर दो कौड़ी तक का ख़र्चा बचा लिया जाए और सुरक्षा भगवान या इंश्योरेंस कंपनी के भरोसे छोड़ दी जाए. समय बदल गया है. मारूति आज भी वही सोच साल रही है. और कुछ नहीं तो कम से कम, नैनो का हश्र तो इसे देख ही लेना चाहिये था.
व्यक्तिगत रूप से, मारूति-800 के पहले मॉडल को मैं आज भी इसका सबसे सुंदर मॉडल मानता हूं. वर्ना इसके बाकी समी मॉडल मुझे समझ नहीं आते. मसलन मारूति-800 के बाद इसके सबसे अधिक बिकने वाले मॉडल ज़ेन को इसने एक दिन बंद कर दिया और उसकी जगह एस्टीलो नाम से नई कार उतार दी. जो ज़ेन कम और नैनो अधिक दिखती है. यही हाल इसने एस्टीम के साथ किया कि एक दिन उसे भी बंद कर दिया जबकि यह भी इसके अधिक बिकने वाले मॉडल में से एक था. इसका एक और पका हुआ सा मॉडल है आल्टो, जिसे शायद उन अमीरों के लिए बनाया गया है जो ग़रीबों की क्रीमी-लेयर में आते हैं. एक दूसरी डिबिया बनाई इसने ओमनी नाम की, जिसे शायद उन लाला टाइप लोगों के लिए बनाया गया होगा जो बस/टैंपो का काम कार जैसी किसी चीज़ से ले लेना चाहते रहे हों. उसे भी कुछ ठोक पीट कर आजकल नया नाम दे दिया है ‘ईको’. वाह.
एक और कार है इसकी जिसे वैगन-आर कहते हैं, (हो सकता है, उमर के साथ बड़ी होकर कल यह टैम्पो-ट्रैवलर हो जाए.) पता नहीं क्या सोचकर यह मॉडल बनाया गया है मानो कार बनाकर चारों तरफ दो-दो चार-चार थापियां फेंट कर चपटा दी गई हो. धन्य हैं इस मॉडल के मालिक लोग. इसी तरह इसकी रिट्ज़ है जिसे बनाने के बाद पीछे से ठोकर अंदर कर दिया है, राम जाने क्यों. ए-स्टार बहुत बढ़िया एवरेज वाली कार बताई गई थी पर बिक नहीं रही क्योंकि लोगों को समझ नहीं आता कि इसे क्यों लिया जाए, जब दूसरी कंपनियों के ढेरों मॉडल हैं. इसी तरह एक बेहूदा सी ऊंचाई वाली कार sx-4 बनाई है, उसे ख़रीदने के ‘कारण’ भी लोग ढूंढ ही रहे हैं. स्विफ़्ट में बूट लगा कर डिज़ायर बनाई है, ठीक -ठाक बिक रही है. बलेनो इसकी एक अच्छी कार थी पर उसमें कोई ग्रेस नहीं थी, सो वह भी नहीं चली. ग्रैंड-विटारा जैसी श्रेणी में मांग उतनी नहीं है और वहां प्रतिस्पर्धा का स्तर भी अलग है.
जिप्सी एक मर्दाना सुंदर मॉडल है पर क़ीमत के हिसाब से इसके इंजन में भी वो बात नहीं है जो होनी चाहिये. हाईवे पर इसे चलाते हुए मुझे कभी ज़्यादा भरोसा नहीं हुआ इस पर.
ऐसा भी नहीं है कि इस कंपनी को कारें डिज़ाइन करनी नहीं आतीं उदाहरण के लिए ऊपर का चित्र देखें यह इसका ही किज़ाशी नाम का मॉडल है. हालांकि बाज़ार में आने वाला मॉडल इतना सेक्सी नहीं है. पर इसी तरह की बाक़ी कारें ये क्यों नहीं बनाती, आपको समझ आ गया होगा.
अब भारत में कारें यूं ही नहीं बिक जातीं, फ़ाख़्ता उड़ाने के वो दिन गए मियां. आज का ग्राहक डिज़ाइन, आफ़्टर सेल सर्विस, क़ीमत, लोन, एक्चेंज, इंजन,ससपेंशन, डेकोर, सुरक्षा इत्यादी सभी कुछ देखता है. बाक़ी, भइये मारूति कंपनी आपकी है जैसे चाहो डुबाओ हमें क्या. (अगर मारूति का कोई महानुभाव इसे पढ़े तो बुरा न माने, आत्ममंथन करे. मैं मारूति का शुभाकांक्षी हूं. मेरी पहली कार मारूति -800 थी, आज भी दो कारें मारूति की ही हैं.)
-काजल कुमार.
Sunday, May 29, 2011
अंतत: एंड्रायड हिन्दीमय हो ही गया :) हिन्दी ब्लागिंग की लाटरी
![]() बड़ी मुश्किल से विंडोज़ आधारित मोबाइल फ़ोन में हिन्दी की समस्या हल हुई ही थी कि बाज़ार में एंड्रायड आधारित नए मोबाइल फ़ोन आने शुरू हो गए, इन एंड्रायड मोबाइल ने हिन्दीभाषी ब्लागरों की दिक़्कतें फिर बढ़ा दी क्योंकि इनमें जहां एक ओर हिन्दी पढ़ने के लिए मिनी ओपेरा-5 ब्राउज़र से काम चलाना पड़ रहा था वहीं दूसरी तरफ हिन्दी में टिप्पणी करना तो संभव ही नहीं था. पर अब वो दिन बीत गए (हालांकि लंबी-लंबी कहने में अभी काफी मेहनत है). कुछ समय से मैं एक ऐसा मोबाइल लेने की सोच रहा था जिसमें कम से कम ये ख़ूबियों तो हों ही जैसे:- कम से कम 4 इंच का कैपेस्टिव टचस्क्रीन, WiFi व 3G, कम से कम 5MP कैमरा, उसमें एंड्रायड का नवीनतम संस्करण हो, कम से कम 16MB कार्ड की सुविधा हो, 1 GB का प्रोसेसर हो, 512 MB रैम व इतनी ही रोम, 512 MB internal memory, स्मार्ट-स्लीक व किसी अच्छे ब्रांड का हो, जिसपर हिन्दी साइट व हिन्दी मेल तो पढ़ ही सकूं…. मुझे सोनी-एरिक्सन के एक्सपीरिया-आर्क में ये सभी ख़ूबियां तो मिली हीं, साथ ही कुछ चीज़ें तो मेरी आशा से भी अधिक मिलीं. इसमें अंड्रायड का 2.3.2 संस्करण है. इसमें हिन्दी पढ़ने के लिए मिनी ओपेरा-5 ब्राउज़र की ज़रूरत नहीं है क्योंकि इसके अपने डिफ़ाल्ट ब्राउज़र में हिन्दी की सभी साइट बिना किसी हील-हुज्जत के आराम से पढ़ी जा सकती हैं लेकिन हिन्दी में टिप्पणी करना अभी भी दूर की कौड़ी लगी क्योंकि इसमें अंग्रेज़ी के अलावा चाइनीज़ व जापानी कीबोर्ड की सुविधा तो है पर हिन्दी कीबोर्ड अभी भी नहीं है. हालांकि, यदि आप हिन्दी माध्यम चुनें तो सबकुछ अंग्रेज़ी के बजाय हिन्दी में पढ़ा जा सकता है. कीबोर्ड से गूगल में raja लिखें तो यह हिंदी में ‘राजा’ शब्द वाले वाक्यों के विकल्प उपलब्ध करवा कर हिन्दी साइटें ढूंढ देता है. हिन्दी में टिप्पणी करने के लिए इ-पंडित ब्लाग के श्रीश बेंजवाल शर्मा का टचनागरी साफ़्टवेयर तो बस छा ही गया. |
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ऊपर बाएं चित्र में एक्सपीरिया-आर्क पर टचनागरी का प्रयोग देखा जा सकता है. उसके वाद बस कापी कर टिप्पणी बाक्स में पेस्ट (यह रहा सबूत, दायां चित्र ) किया तो काम हो गया. भाई श्रीश जी का अनन्य आभार. बस यदि यह कीबोर्ड कुछ और यूं निम्नत: व्यवस्थित कर दें कि इसे प्रयोग करते हुए स्क्रीन बार-बार ऊपर-नीचे या दाएं-बाएं न करना पड़े तो बस बल्ले-बल्ले ही हो गई समझो :) ![]() (पोस्ट स्क्रिप्ट -31.5.2011) यदि गूगल ट्रांस्लिट्रेशन या क्विलपैड जैसी साइट खोलें तो वर्चुअल कीबोर्ड एक्टीवेट नहीं होता है. लेकिन मैंने पाया कि अनूप शुक्ल जी की साइट पर पोस्ट के नीचे टिप्पणी बाक्स में टिप्पणी करने से पहले यदि " Enable Google Transliteration.(To type in English, press Ctrl+g)" सक्षम कर दिया जाए तो वर्चुअल कीबोर्ड अपने आप ही एक्टीवेट हो जाता है और आप, 'भारत' लिखने के लिए 'bhaarat' टाइप कर हिन्दी में कनवर्ट करवा सकते हैं. इसके बाद इसे कापी कर पेस्ट करना भर बचता है. (पोस्ट स्क्रिप्ट -1.6.2011) एंड्रायड मार्केट से "MultiLing keyboard" डाउनलोड किया तो रही-सही क़सर भी पूरी हो गई. यह कीबोर्ड हिन्दी कीबोर्ड है. इसे इंस्टाल कर, किसी भी ब्लाग के टिप्पणी बाक्स में सीधे ही हिन्दी में टाइप किया जा सकता है. कापी पेस्ट की भी ज़रूरत जाती रही.आज मैं पूरी तरह से कह सकता हूं कि हां एंड्रायड अब पूरी तरह हिन्दी स्पोर्ट कर रहा है. हुर्रे :-)) -काजल कुमार |
Wednesday, February 16, 2011
एंड्रॉयड में हिन्दी यूं पढ़ी जा सकती है -काजल कुमार
कुछ समय पहले मैंने एक पोस्ट लिखी थी आप ब्लागर हैं ! तो यह जानकारी आपको भी होनी ही चाहिये. . इसमें मैंने यह भी लिखा था कि एंड्रॉयड चलित सभी टैबलेट/फ़ोन में हिन्दी नहीं पढ़ी जा सकती.
इस बीच इंटरनेट पर खोजबीन करते-करते मैं एक ऐसे फ़ोरम पर पहुंचा जहां मेरी यह समस्या भी दूर हो गई. aninda1989 आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
हिन्दी पढ़ने की विधी यह है:-
1- एंड्रॉयड चलित किसी भी फ़ोन या टैबलेट पर सबसे पहले 'ओपेरा मिनी' का संस्करण 5 डाउनलोड करें. एंड्रॉयड मार्केट पर यह मुफ़्त उपलब्ध है. अन्यथा ओपेरा की अधिकृत साइट यह है.
2-उसके बाद, ओपेरा की ऐड्रैस बार पर जाएं व opera:config टाइप करें. ध्यान रखें कि इन दो शब्दों के बीच में दो बिंदु हैं जिन्हें colon (:) कहते हैं, व कोई स्पेस नहीं है. इन शब्दों के अलावा www या http:// इत्यादि कुछ नहीं होना चाहिए.
3. इसके बाद जो मीनू आएगा उसके अंत में " use bitmap fonts for complex scripts " वाक्य होगा जिसके सामने No लिखा होगा. इसे आप Yes से बदल दें.
4. Save करें.
अब आप कोई भी हिन्दी साइट खोलिये और देखिये आपका मोबाइल/टैबलेट चौकोर डिब्बियों की जगह हिन्दी शब्द दिखाने लगा.... हुर्रा. छा गए आप. अपने टैबलेट पर आज पहली बार हिन्दी के शब्दों को उभरता देख कर मुझे भी इतनी ही प्रसन्नता हुई.
अब आप हिन्दी पढ़ तो सकेंगे पर अभी भी दो सीमाएं बची हैं 1, थोड़ा धैर्य रखना होगा आपको क्योंकि हिन्दी के शब्द थोड़ा समय लेने लगेंगे, साफ दिखने से पहले. यह इसलिए होगा क्योंकि जो काम आपके मोबाइल/टैबलेट को करना था वह अब साइट के सर्वर पर हो रहा है. इसकी तुलना आप क्लाउड कंप्यूटिंग से कर सकते हैं. 2, अभी भी आप हिन्दी में टाइप नहीं कर पाएंगे. इसके लिए आपको हिन्दी सक्षम 'एंड्रॉयड बर्चुअल कीबोर्ड' की प्रतीक्षा अभी भी करनी होगी. लेकिन ये भी क्या कम है कि अब आप हिन्दी पढ़ तो पा रहे हैं :)
-काजल कुमार
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