आपने
ईबुक रीडर का नाम अवश्य सुना होगा. ‘ईबुक’ का अर्थ है इलेक्ट्रॉनिक बुक यानि वह
पुस्तक जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरण पर पढ़ी जा सके. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की
श्रेणी में स्मार्टफ़ोन, टैबलेट इत्यादि आते हैं. इनके अतिरिक्त इस उद्देश्य
के लिए ‘ईबुक रीडर’ अलग से आते हैं जो कई कंपनियां बनाती हैं जिनमें किंडल
सर्वाधिक प्रचलित है. इसके अतिरिक्त कोबो, सोनी, स्टैन्ज़ा इत्यादि के भी
ईबुक रीडर बाज़ार में उपलब्ध हैं.
इन
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर पढ़ी जाने वाली पुस्तकों के कई फ़ार्मेट बाज़ार में
प्रचलित हैं जैसे:- .mobi किंडल के लिए, .rtf, .epub और .pdf अधिकांश
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, स्मार्टफ़ोन, टैबलेट आदि के लिए, .lrf सोनी रीडर के लिए, . pbd पामरीडिंग उपकरणों के लिए,
.txt फ़ार्मेट को भी अधिकांश उपकरण पढ़ सकते हैं एवं इसे वैबपेज
की तरह ब्राउजर में भी पढ़ा जा सकता है. किंतु ‘ईपब’ फ़ार्मेट अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक
उपकरणों, स्मार्टफ़ोन, टैबलेट इत्यादि में पढ़े जाने के कारण सर्वाधिक लोकप्रिय
होता जा रहा है.
हिंदी
में, ईबुक रीडर के नाम पर भ्रांति सी दिखाई देती है क्योंकि हिंदी की सामग्री
अभी पीडीएफ़ जैसे फ़ार्मेट में ही उपलब्ध है. जिसे पाठक वास्तव में एक चित्ररूप
में ही अपने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों/स्मार्टफ़ोन पर पढ़ पाते हैं. जबकि ये इलेक्ट्रॉनिक
उपकरणों/स्मार्टफ़ोन अंग्रेज़ी व अन्य विदेशी भाषाओं के शब्दों को शब्दरूप
में दिखाते हैं. अतिरिक्त इसके, यूनिकोड में लिखे एम.एस. वर्ड जैसे फ़ार्मेट
भी प्रचलित हैं.
‘किंडल’
और ‘किंडल फ़ायर’ दो प्रचलित ईबुक उपकरण हैं. ‘किंडल’, ई-इंक (E Ink) आधारित उपकरण है जबकि अमेज़न कंपनी का ‘किंडल फ़ायर’ आम एल.सी.डी.
टैबलेट जैसा उपरण है. किंडल मुख्यत: पुस्तकें पढ़ने के लिए बनाया बनाया गया है
इसलिए इसमें संगीत, वीडियो, कैमरा, ईमेल आदि की सुविधा नही है जबकि ‘किंडल
फ़ायर’ में ये सभी सुविधाएं भी है.
इन
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर पढ़ी जा सकने वाली सामग्री विभिन्न फ़ार्मेट में लिखी
जाती है जिनमें ईपब (.epub) आज
सर्वाधिक प्रचलित फ़ार्मेट है. इसका विकास अंतर्राष्ट्रीय डिजिटल प्रकाशन फ़ोरम
(http://idpf.org/) ने किया है. यह एक ओपन फ़ार्मेट है, जबकि कई दूसरे
फ़ार्मेट कंपनियों के ट्रेडमार्क युक्त फ़ार्मेट हैं एवं अन्य सभी कंपनियों के
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर कार्य भी नहीं करते हैं. ‘ईपब’ का मतलब है ‘इलेक्ट्रॉनिक
पब्लिकेशन’. 2007 से, यह अपने
पूर्ववर्ती फ़ार्मेटों की जगह लाया गया था.
इस
फ़र्मेट की विशेषताएं यह हैं कि इसमें लिखी गई सामग्री स्क्रीन साइज़ के हिसाब
से स्वव्यवस्थित हो जाती है यानि फ़ॉट का साइज़ बढ़ाया जाए तो शब्द, सक्रीन
के साइड में न छुप कर अपने आप निचली लाइनों में व्यवस्थित हो जाते हैं, इसी
प्रकार फ़ॉंट का साइज़ घटाने पर इसके उलट प्रकिया होती है. इस फ़ार्मेट में चित्र
भी व्यवस्थित किए जा सकते हैं. इस फ़ार्मेट में फ़ॉंट का साइज़ तो
बढ़ाया-घटाया जा ही सकता है, फ़ॉंट और बैकग्राउन्ड का रंग भी अपनी पसंद/सुविधानुसार
बदला जा सकता है, यद्यपि यह सुविधा इस फ़ार्मेट को चलाने वाले सॉफ़्टवेयर में
होती है न कि फ़ार्मेट में, यह फ़ार्मेट इस प्रकिया के लिए सक्षम होता है. इसके
अतिरिक्त इसमें ऑडियो-वीडियो की भी सुविधा रहती है. अंग्रेज़ी में लिखी गई
सामग्री को तो पढ़ने के बजाय सुना भी जा सकता है. हिंदी पाठ्यसामग्री को अभी हिंदी
में सुनने की यह सुविधा उपलब्ध नहीं है
यद्यपि
यूनिकोड आधारित फ़ॉंट में लिखे गए .doc / .docx दस्तावेज इन फ़ार्मेट को सर्पोट करने वाले
सॉफ़्टवेयर में पढ़े जा सकते हैं पर इनमें वे सभी उपरोक्त सुविधाएं नहीं होतीं
जो ईपब फ़ार्मेट में उपलब्ध हैं.
आप
फ़ाइलों को हिंदी ईपब फ़ॉर्मेट में ‘कैलिबर’ सॉफ़्टवेयर द्वारा कन्वर्ट कर सकते
हैं. अभी यूनिकोड में लिखे गए केवल .docx डॉक्यूमेंट्स को ही हिंदी ईपब फ़ॉर्मेट में कन्वर्ट किया जा सकता है. जबकि
पीडीएफ़ को ईपब में कन्वर्ट करने से अभी आशानुरूप परिणम नहीं मिलते हैं, आशा की
जानी चाहिए कि भविष्य में यह भी सफलतापूर्वक किया जा सकेगा. फ़ार्मेट बदलने
के लिए प्रयोग किया जाने वाला ‘कैलिबर’ सॉफ़्टवेयर आज सर्वाधिक प्रचलित
सॉफ़टवेयर है और यह मुफ़्त व ओपन सोर्स सॉफ़्टवेयर है. इसे आप यहां http://calibre-ebook.com/ से डाउनलोड कर सकते हैं. गर्व की बात है कि यह सॉफ़्टवेयर एक भारतीय
द्वारा बनाया गया है. यदि आपका इलेक्ट्रॉनिक उपकरण/ स्मार्टफ़ोन, एंड्रॉयड
आधारित और हिंदी स्मर्थित है तो हिंदी फ़ाइलों को ईपब फ़ार्मेट में बदल लेने के बाद आप उन्हें FBReader या Moon+ Reader सॉफ़्टवेयर में पढ़ सकते हैं. ये दोनों सॉफ़्टवेयर गूगल प्ले स्टोर पर
मुफ़्त उपल्ब्ध हैं. एफबीरीडर एंड्रॉयड के अलावा विंडोज़, मैक, लीनक्स इत्यादी
दूसरे ऑपरेटिंग सिस्टम पर भी काम करता है. एफबीरीडर में यदि कहीं-कहीं कुछ शब्द
आपस में जुड़े दिखाई दें तो सैटिंग्स में जाकर उन्हें ठीक किया जा सकता है. एफबीरीडर
की तुलना में मूनप्लसरीडर सॉफ़्टवेयर अवश्य कुछ धीमा है. हिंदी में ईपब अभी अपने
शैशवकाल में है, इस दिशा में बहुत काम किए जाने की आवश्यकता है. मैंने अभी तक किसी
प्रकाशक को हिंदी की पुस्तकें ईपब
फ़ार्मेट में उपलब्ध कराते नहीं पाया है. यद्यपि हिंदी पुस्तकें .doc / .docx फ़ार्मेट में उपल्बध होने लगी हैं. लेकिन,
यदि आप हिंदी प्रेमी हैं और हिंदी की पुस्तकें अपने हिसाब से पढ़ना चाहते हैं
तो अब आप उन्हें उपरोक्त विधि से कन्वर्ट
कर अपने साथ कहीं भी ले जा सकते हैं और अपनी सुविधानुसार पढ़ सकते हैं.
हिंदी
प्रकाशकों को भी इस दिशा में बड़ी पहल करने की आवश्यकता है कि वे पारंपरिक रूप
से केवल काग़ज़ पर ही छापने के बजाय इलेक्ट्रॉनिक फ़ार्मेट में भी पुस्तकें उपलब्ध
करवाना शुरू करें इससे पुस्तकों की क़ीमत में भारी कमी की जा सकती है और पुस्तकों
के बाज़ार का भी बहुत विस्तार किया जा सकता है. आज अमेज़न जैसी कई बड़ी कंपनियां
प्रत्येक पुस्तक को इलेक्ट्रॉनिक फ़ार्मेट में तो बेच ही रही हैं साथ ही साथ लगभग
उस प्रत्येक फ़ार्मेट में भी उपलब्ध करवा रही हैं जिस भी फ़ार्मेट में ग्राहक उन्हें
चाहता है.
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-काजल
कुमार