Saturday, August 22, 2009

हवाई जहाज़ को कड़कती बिजली से कुछ क्यों नहीं होता?

क्या कभी आपने सोचा है कि जहां एक ओर हम लोग ज़मीन पर बिजली गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं से अक्सर दो चार होते रहते हैं वहीं दूसरी ओर हवाई जहाज़ों के बारे में हम शायद ही कोई ख़बर सुनते हों जबकि वे बादलों के बीच भी उड़ते हैं. अनुमान है कि हर व्यवसायिक हवाई जहाज़ पर साल में औसतन एक बार बिजली गिरती है.

 

बादलों में अतिसूक्ष्म परिमाण या अणु (इलैक्ट्रॉन) होते हैं जिन्हें दूसरे अणु अपनी ओर आकर्षित करते हैं चाहे वे दूसरे बादलों में विद्यमान हों या ज़मीन पर. जब विभिन्न दो स्रोतों के अणु मिलते हैं तो इसे ही हम कड़कती बिजली के रूप में देखते हैं.

 

आधुनिक हवाई जहाज़ों की सुरक्षा तीन तरह से की जाती है:-

 

1. हवाई जहाज़ अल्यूमीनियम के बने होने के कारण बादलों में विद्यमान अणुओं को एक सिरे से दूसरे सिरे तक निर्बाध रूप से प्रवाहित होने देते हैं जिसके चलते यात्री सुरक्षित रहते हैं.

2. जहाज़ के पंखों पर स्थैतिकीय पलीते (static wick) लगाए जाते हैं जो जहाज़ पर एकत्र अणुओं को अपनी नोक पर एकत्र कर लेते हैं जिसके चलते बादलों के टकराने पर बिजली पूरे जहाज़ में प्रवाहित नहीं हो पाती.

3. मौसम विभाग की चेतावनी के मद्देनज़र जहाज़ को ऐसे बादलों के रास्ते में नहीं आने दिया जाता.

wingtip1 static_wick wingtip2
   

चित्र: साभार इंटरनेट

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